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________________ २५१ श्रेणिक पुराणम् लिया। और कुछ दिन बाद वहाँ से उस घड़े को उखाड़कर अपने परिचित स्थान पर उसने रख दिया। कुछ दिन बाद चातुर्मास समाप्त हो गया। मैंने भी अपना ध्यान समाप्त कर दिया। एवं हेयोपादेय विचार में तत्पर ईर्या समितिपूर्वक मैं वहाँ से निकला और वन की ओर चल दिया। मेरे चले जाने के पश्चात् सेठ जिनदत्त को अपने धन की याद आ गई। जिस स्थान पर उसने रत्न भरा खड़ा रखा था तत्काल उसे खोदा। वहाँ घड़ा नहीं मिला, जब उसे घड़ा न मिला तो वह इस प्रकार संकल्प विकल्प करने लगा हाय ! मेरा धन गया? किसने ले लिया अरे मेरे प्राणों के समान, यत्न से सुरक्षित, धन अब किसके पास होगा। हाय ! रक्षार्थ मैंने दूसरी जगह से लाकर यहाँ रखा था उसे यहाँ से भी किसी चोर ने चुरा लिया ? जब बाढ़ ही खेत खाने लगी तो दूसरा मनुष्य कैसे उसकी रक्षा कर सकता है। मुनिराज के सिवाय इस स्थान पर दूसरा कोई मनुष्य नहीं रहता था। प्रायः मुनिराज के परिणामों में मलीनता आ गई हो। उन्होंने ही ले लिया हो। पूछने में कोई हानि नहीं, चलूं मुनिराज से पूछ लूं तथा ऐसा कुछ समय तक विचार कर शीघ्र ही जिनदत्त ने कुछ नौकर मेरे अन्वेषणार्थ भेजे और स्वयं भी घर से निकल पड़ा एवं कपट वृत्ति से जहाँ-तहाँ मुझे ढूंढने लगा। मैं वन में किसी पर्वत की तलहटी में ध्यानारूढ़ था। मुझे जिनदत्त की कपटवृत्ति का कुछ भी ख्याल न था। अचानक ही घूमता-घूमता वह मेरे पास आया। भक्ति-भाव से मुझे नमस्कार किया एवं कपटवत्ति से वह इस प्रकार प्रार्थना करने लगा ॥१४१-१६५।। स्वामिन्नशर्मसंपूर्णास्तूर्णं त्वद्दर्शनलोलुपाः । वर्त्तते गृहिणस्तेपां कष्टनाशं विधेहि भो ॥१६६।। व्यावर्त्तय कृपाधीश किंचित्कार्यकृते पुनः । न गंतव्यं न गंतव्यं त्वयानाथ यथा कथं ।।१६७।। तदाग्रहं समालोक्य शंबर्या कृतमुल्वणं । मत्वाभिप्रायमाचित्ते तर्कयन्मानसे तदा ॥१६८॥ अहो दुष्टमहोदुष्टं द्रविणं पापदं नृणाम् । अनिष्टपदमेवात्र दुरंतं दुःखदायकम् ।।१६६॥ अहो ! शत्रुत्वमायाति सखापि प्राणवल्लभः । नागीयते शुभा भार्या व्याघ्रीयति निजांबिका ॥१७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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