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श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम्
पूरा सम्मान और आदर करते हैं। बड़े-बड़े सज्जन पुरुष उसकी विनय-भाव से सेवा करने लग जाते हैं। तथा उत्तम बुद्धि की कृपा से अच्छे-अच्छे नीति आदि गुण भी उस मनुष्य को अपना स्थान बना लेते हैं ॥८२-६०॥
इति श्रेणिक भवानुबद्ध भविष्यत्पत्मनाभपुराणे भट्टारक श्रीशुभचंद्राचार्य विरचिते
अभयकुमारबुद्धि वर्णनं नाम सप्तमः सर्गः ॥७॥
इस प्रकार भविष्यकाल में होनेवाले श्रीपद्मनाभ तीर्थंकर के भवांतर के जीव
महाराज श्रेणिक के भट्टारक श्रीशुभचन्द्राचार्य विरचित पुत्र अभयकुमार की बुद्धि का वर्णन करनेवाला
सातवा सर्ग समाप्त हुआ।
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