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________________ श्रेणिक पुराणम् १३३ नगरी में एक वसंत नाम का क्षत्रिय पुरुष निवास करता है। वसंत अति रूपवान, गुणवान एवं धनवान है। वह तेरे ऊपर मोहित भी है। तू उसके साथ आनंद से भोगों को भोग। तुझ सरीखी रूपवती के लिए संसार में कोई चीज दुर्लभ नहीं ॥३०-३६।। तथेति प्रतिपद्यासौ वंचयित्वानिजं पति । कुर्वती कलहं धाम्नि भ; पापपरायणा ॥ ३७॥ केदारमन्यदा भद्रा गच्छंती दृष्टवान्मुनि । बालाकंदीधिति रूप रंजिताखिलभूतलं ।। ३८ ॥ मूत्तिभूतं तथा मारं कुमारं लक्षणान्वितं । प्रणम्याग्रे स्थिता बाला कुर्वती कामवेदनां ॥ ३९ ॥ भद्राप्राह यते केन तपस्येत निरंतरं । भोक्तव्यमैं द्रियं सौख्यं भवशाखिमहाफलं ॥ ४० ॥ रूपं तवेदृशं ज्ञानिन् वयो बाल्यं शुभावहम् । हिमांशुवदनं तेऽस्ति वपुः सर्वगुणाकरम् ।। ४१ ॥ भुक्ष्वं भोगाननौपम्यान् कुमारत्वे स्त्रिया समां । पुनर्गहाण वृद्धत्वं तपः स्वर्मोक्षसिद्धये ।। ४२ ।। आकर्पुति वचो धीमानवधिज्ञानलोचनः । गुणादिसागरः प्राह संबोधनकृते मुनिः ।। ४३ ॥ दूती के ऐसे वचन सुने तो भद्रा के मुंह में पानी आ गया। उस मूर्खा ने यह तो समझा नहीं कि इस दुष्ट बर्ताव से क्या हानियाँ होंगी। वह शीघ्र ही वसंत के घर जाने के लिए राजी हो गई। तथा किसी दिन दाँव पाकर वसंत के घर चली भी गई। और उसके साथ भोग-विलास करने शुरू. कर दिये। व्यसन का चसका बुरा होता है। भद्रा को व्यसन का चसका बुरा पड़ गया। वह अपने भोले पति को बातों में लगा प्रतिदिन वसंत के घर जाने लगी। वसंत पर अभिमान कर उसने अपने पति का अपमान करना भी प्रारंभ कर दिया। अनेक प्रकार की कलह करनी भी उसने घर में शुरू कर दी। और अपने सामने किसी को वह बड़ा भी नहीं समझने लगी। भद्रा का पति बलभद्र किसान था। कदाचित् भद्रा को कार्यवश खेत पर जाना पड़ा। दैवयोग से मार्ग में भद्रा की भेंट मुनि गुणसागर से हो गई। मुनि गुणसागर को अति रूपवान, सूर्य के समान तेजस्वी, युवा एवं अनेक गुणों के भंडार देख भद्रा काम से व्याकुल हो गई। काम के गाढ़े नशे में आकर उसको यह भी न सूझा कि यह कौन महात्मा हैं ? वह शीघ्र ही काम से www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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