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________________ ११२ श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम् और कुमार की आज्ञानुसार उसने लकड़ी का नीचा-ऊँचा भाग महाराज की सेवा में विनयपूर्वक जा बताया ॥१००-१०॥ अन्यदेति निदेशस्तु दत्तो मागधनायकैः । कोपोद्दीपितसद्वक्त्र गंभीरधिषणावृतः ।।१०६॥ यावत्पूरं तिला विप्रै र्ग ह्यते तत्प्रमाणकं । तावत्पूरं च तेषां वै देयं तैलं मुदाद्रुतम् ॥१०७॥ आकर्ण्यति जगुर्विप्रा किं चिकीर्षति भूपतिः ? निर्देशो दुर्द्धरस्तेन कथं दीयेत शक्त्यगः ॥१०८।। ततोऽभयकुमारो सा वाश्वास्य निजबुद्धितः । वाड़वानिति जग्राह पूरयित्वा च दर्पणम् ॥१०॥ जिस समय महाराज ने लकड़ी को देखा तो मारे क्रोध से उनका तन-बदन जल गया। वे सोचने लगे कि मैं ब्राह्मणों पर दोषारोपण करने के लिए कठिन-से-कठिन उपाय कर चुका । अभी ब्राह्मण किसी प्रकार दोषी सिद्ध नहीं हुए हैं। नन्दिग्राम के ब्राह्मण बड़े चालाक मालूम पड़ते हैं। अब इनको दोषी बताने के लिए कोई दूसरा उपाय सोचना चाहिए। तथा क्षणेक ऐसा विचार कर उन्होंने फिर किसी सेवक को बुलाया। और उसके हाथ में कुछ तिल देकर यह आज्ञा दी कि तुम नन्दिग्राम जाओ। और वहाँ के ब्राह्मणों को तिल देकर यह बात कहो कि महाराजने ये तिल भेजे हैं। जितने ये तिल हैं इनकी बराबर शीघ्र ही तेल राजगृह पहुँचा दो। नहीं तो तुम्हारे हक में अच्छा न होगा। महाराज की आज्ञानुसार दूत नन्दिग्राम की ओर चल दिया। और तिल ब्राह्मणों को दे दिये। तथा यह भी कह दिया कि जितने ये तिल हैं महाराज ने उतना ही तेल मॅगाया है। तेल शीघ्र भेजो नहीं तो नन्दिग्राम छोड़ना पड़ेगा। दूत के मुख से ऐसे वचन सुन ब्राह्मण बड़े घबराये। वे सीधे अभयकुमार के पास गये। और विनयपूर्वक यह कहा-महोदय कुमार ! महाराज ने ये थोड़े-से तिल भेजे हैं। इनकी बराबर ही तेल माँगा है। क्या करें? यह बात अति कठिन है। तिलों के बराबर तेल कैसे भेजा जा सकता है ? मालम होता है अब महाराज छोड़ेंगे नहीं ॥१०६-१०६॥ तिलान् संपीड्य तैलं च निःकाश्य वरबुद्धितः । तैलमादर्शपूरं च प्रेषयामास भूपतिम् ॥११०॥ रुषाऽन्यदेति भूपेश इत्यादेशं ददौ पुनः । भो विप्राः प्रेषणीयं च भोज्ययोग्यं पयः शुभम् ॥१११॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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