SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८ अमरसेणचरिउ तहं अच्छइ रक्खसु पावरासि । दुद्दरिसणु-भीसणु सव्वगासि ॥४॥ तं णरवs अग्गइ भइ दुट्टु । भो पहु किं रम्मु भणेहिं सुट्टु ॥५॥ भोयणु सह जीवहं पुहइ इठु । ताहें विणु लोयहं सव्वु कट्टु ॥ ६ ॥ तं णिसुणि वि मारिउ रक्खसेण । तं रज्ज णवडु विट्ठउ सुहेण ॥७॥ खण मास समायउ तत्थ पाउ । दुद्दरिसणु भीसणु किन्ह गिरि-गुह तं आणणु उद्धकेस । गुंजाहल यई जमहं तं वुज्झिउ राणउ अक्खि वेइ । किं रम्मं पहु जंपइ रइ-सुहु तिय सुहेण । तं मारिउ एवहि वहु णरवइ रक्खसेण । संघारिय काउ ॥८॥ वेस ॥९॥ दीसइ इत्थ लोइ ॥ १०॥ उ कोइ रज्जु विट्ठइ णवल्लु । रक्खस भउ मण्णहि हियइ सल्लु ॥१३॥ उक्तं च ॥ पंथि समं णत्थि जरा, दरिद्द समो परिभओ णत्थि । मरण-भयं च अयाणं, च्छुहा समा वेयणा णत्थि ॥ छ ॥ तहि अवसर मंतिहि रयउ मंतु । देवाविउ पडहउ णयरि तत्तु ॥ १४ ॥ जो णरवइ-पट्टह सुहडु आय । तं वइ सइ णिव पर देहि वाय ॥१५॥ णिव सेर्वाह तं पय सह महल्ल | भुंजइ सह मेर्याणि पुणु सिल्ल ॥१६॥ तं णिसुणि थिरु तह एउ वृत्त । धुत्ताणधुत्तु नामें सजुत्तु ॥ १७॥ णरवइ सिंहासणि आइ विठु । वंदिउ णिव मंति महल्ल सुठु ॥ १८ ॥ घत्ता सुहि रज्जु करंतहं, जिण-पय-भत्तहं, रक्खसु तक्खणेण ॥११॥ पावें जिद्दएण ॥१२॥ णिय पइ-पालइ राय थिए । खण मास समायउ, रक्खसु दायउ [ वायउ ] Jain Education International कि मिट्ठउ पहु भणहि धुए ॥ ३-५ ॥ [ ३-६ ] तं सुणे वि णरवइ संतुटुउ । रक्खस अग्गइ भइ हियउ || १ || जं जसु सुक्खु होइ गरुयालउ । तं तहु मिट्ट सुहु धव सालउ ॥२॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002769
Book TitleAmarsenchariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikkraj Pandit, Kasturchandra Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1991
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy