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[आचार्य जिनदत्तसूरिजी की कई कृतियाँ अप्रकाशित हैं और कई प्रकाशित हैं अशुद्धियाँ हैं । अनेक कृतियों का भाषांतर नहीं हुआ है। यहाँ पर ऐसी अप्रकाशित या अशुद्ध कृतियाँ शुद्धि के साथ दी जा रही है। मेरे अध्ययन समय एक कृति वाडिकुलक का संशोधन-संपादन मैने किया और कई का हिन्दी अनुवाद भी किया । ये कृतियाँ निम्न दी गई हैं ।]
संख्या
१.
२.
३.
४.
युगप्रधान आ . जिनदत्तसूरिजी का जैन धर्म एवं साहित्य में योगदान
परिशिष्ट
आचार्य जिनदत्तसूरि विरचित अप्रकाशित कृतियों का संपादन एवं कतिपय अननुवादित कृतियों का अनुवाद
५.
६.
७.
८.
९.
१०.
११.
कृति का नाम
सुगुरु संथव सत्तरिया
श्रुतस्तव
उत्सूत्र-कुलकम्
वाडकुलक
अजितशान्तिस्तव सर्वजनस्तुति महावीरस्वामीस्तुति चक्रेश्वरीस्तोत्र
अपूर्णस्तोत्र श्लोकत्रयी प्रभावस्तोत्र
स्तंभनपार्श्वनाथ स्तवन
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कृति की भाषा
प्राकृत
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27
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संस्कृत
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प्राकृत
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मूल एवं अनुवाद
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333
मूल
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