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________________ पदवी से विभूषित किया गया। आकाश “शासन ज्योति की पदवी' से गुंजायमान हो गया। भरतपुर चातुर्मास करके आपश्री ने मेरे ऊपर अद्भुत उपकार किया जिसका ऋण मैं भवोभव नहीं अदा कर सकती हूँ | संसार रूपी महाअटवीं से उगार कर मोक्ष मार्ग की पथिका बनाया है। अन्यथा यह तुच्छ पामर प्राणी संसाराटवीं में भटकता रहता ! इसके अलावा भरतपुर रणजीत नगर कोलोनी में विशाल पैमाने पर नूतन मंदिर, जिन कुशलसूरि दादावाड़ी एवं धर्मशाला का निर्माण एवं प्रतिष्ठा करवाई। जो आज श्रद्धालु भक्तों का आकर्षण केन्द्र बना हुआ है। पल्लीवाल जनता का धर्मोत्थान करके आपश्री ने जिनशासन का नाम चारों दिशाओं में गुंजायमान किया है / भरतपुर निवासी श्री प्रकाश जी(माईकोवाले)तो हमेशा यही कहते है कि आप श्री ने बन्जर भूमि को उर्वरा करके पौधा लगाकर जो वृक्ष खड़ा किया है उसके लिए पल्लीवाल जनता आपकी जन्मजन्मान्तर तक ऋणी रहगी / अलवर चातुर्मास करके नूतन जिन कुशल सूरि दादावाड़ी की प्रतिष्ठा कराकर वहां के जन-मानस को गुरुदेव का परम भक्त बनाया है। गुड़ा मालोनी में भी नूतन दादावाड़ी की प्रतिष्ठा करवाई है। सांचौर नगर में जैन श्वेतामब खरतरगच्छ संघ का पुनरोत्थान आप श्री के परिश्रम का फल है। जयउ सामिय सूत्र में “सच्चउरि मण्डण"का उल्लेख आता है / वही “सत्यपुर' सांचौर-तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है / यह पावन पवित्र भूमि खरतरगच्छ के रत्नों की जन्म-स्थली रही है। दादा श्री जिनकुशलसूरि जी के पट्टधर आचार्य श्री जिनपद्मसूरि के पट्टधर आचार्य श्री जिनलब्धिसूरि जी एवं महोपध्याय श्री समय-सुन्दर जी म.सा.का जन्म इसी सत्यपुर की पावन धरा पर हुआ था। उस समय वहां खरतरगच्छ की महिमा सर्वोत्तम शिखर ऊपर थी। उत्थान और पतन की श्रृंखला को दृष्टिगत रखते हुए बीच की अवधि में खरतरगच्छ का विरह काल रहा। इस बीच चातुर्मास हुए भी परन्तु खरतरगच्छ Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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