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मनोहर दीपशिखा विषयानुक्रम
विषय
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मनोहर संयम-यात्रा संयोग-वियोग शरण-समर्पण एक वाक्य से जीवन उज्जवल क्षण की महत्ता रागी मन विरागी अवसर बार-बार नहीं आता किसे कहूँ मैं अपना अशुद्ध से शुद्धता की ओर जिनेश्वर भक्ति शक्ति ही जीवन आत्मानुभूति जीवन एक यात्रा जिन्दगी एक नाटक संयम-चरित्र कृत कर्मो का प्रायश्चित
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