________________ // दिनशुधिः॥ श्व जोगपश्वा पयमत्थपएहिं विहिश्र उजोथा। मुणिमणनवणपयासं दिणमुछिपईविश्रा कुणउ // 13 // श्रा रीते योगरूपी प्रदीप थकी प्रगट अर्थवाळां पदोए करीने जेनो उद्योत कर्यो / एवी या दिनशुधिरूपी दीपिका मुनिनां मनरूपी नवनना प्रकाशने करो. 153. - सिरिवयरसेणगुरुपट्टनाह सिरिहेमतिलयसूरीणं / __ पायपसाया एसा रयणसिहरसूरिणा विहिबा // 14 // ___ श्री वज्रसेन गुरुनी पाटना स्वामी श्री हेमतिलक सूरिना पादप्रसादथी था दिन शुद्धि रत्नशेखर सूरिए रची जे. // इति श्रीरत्नशेखरसूरिविरचिता दिनशुध्रिप्रदीपिका // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org