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॥ दिनशुद्धिः ॥ प्रथम षमाष्टक कहे बे. -
विसमा मे पीई समान श्रहमे रिक । समं नामरा सिद्धिं परिवए ॥ २ ॥ बी बारसंमि व नवपंचमगं तहा । सेसेसु पीई निद्दिा जइ दुच्चागहमुत्तमा ॥ ए३ ॥
विषम राशि १-३-५-०-०-११ श्री आठमी राशिना स्वामी ने प्रीति होय . सम राशि २-४-६-८ - १०-१२ यी आठमी राशिने शत्रुजाव बे. ते शत्रुजाव जगवंतनी राशिथी प्रतिमा कारापकनी नामराशि सुधी गणीने वर्जवो. ए२. बीजी अने बारमी राशिना तथा नवमी ने पांचमी राशिना स्वामीने परस्पर प्रीति न होय तो ते पश्य वर्जवी. शेष राशिमां प्रीति कहेली बे. ए३.
ed त्रयोनि वेर कहे बे. -
श्रयमे सपा सप्पासविकाल मेर्समरा ।
श्रीग में हिसीवग्धो महिंसी पुणो वो ॥ ४ ॥ मिर्गे मिर्गे कुर्केर वनर नलगं वानरो रितुरंगी । हैंरिपसुँ कुर्जर एए रिका कमेण जोणी ॥ एए ॥
अश्विनी विगेरे नक्षत्रोनी अनुक्रमे श्रा प्रमाणे योनिट बे. - अश्विनीनी योनि श्व बे, जरणीनी योनि हाथी बे, कृत्तिकानी मेष, रोहिणीनी सर्प, मृगशिरनी पण सर्प, वर्षानी श्वान, पुनर्वसुनी बिलामो, पुष्यनी मेष, अश्लेषानी बिलामो, मघानी उदर, पूर्वाफाल्गुनीनी नंदेर, उतराफाल्गुनीनी गांय, हस्तनी मेंश, चित्रानी वाघ, स्वातिनी
श, विशाखानी वाघ, अनुराधानी मृग, ज्येष्ठानी मृग. ए४. मूळनी कूतरो, पूर्वा- पाढानी वानर, उत्तराषाढानी 'नोळीयो, अभिजितनी 'नोळीयो, श्रवणनी वानर, धनिष्ठानी सिंह, शतभिषकनी अव, पूर्वाजाऽपदनी सिंह, उत्तराजात्रपदनी पशु-गो ने रेवतीनी योनि हाथी बे. एए.
समस्सम दिसं कपिमेसं सापरिणादिनउलं । गोवग्घ बिडालुंदर वेरं नामेसु वाि ॥ ९६ ॥
हाथी ने सिंह, अश्व छाने पाको, वानर अने मेष, श्वान ने हरण, सर्प ने नोळीयो, गाय छाने वाघ तथा बिलाको अने बंदर, आउने परस्पर वेर होय बे, माटे
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