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________________ ॥ पञ्चमो विमर्शः॥ ४.७ ( एटले के एक नामीमांधी बीजी नामीमां जतां वायुने तेटली वार लागे , अर्थात् तेटलो वखत बन्ने नासिकामां समान वायु रहे बे.)" तेमा वाम ( माबी ) नासिका पेसता वायुए करीने पूर्ण श्राय त्यारे सर्वे शुल कार्यनो आरंन करवो. कडं वे के "साने दानेऽध्ययने गुरुदेवान्यर्चने विषविनाशे । पुरमन्दिरप्रवेशे गमागमादौ शुला वामा ॥१॥" "लाजमां, दानमा, नणवामां, गुरु अने देवनी पूजामां, विष उतारवामां, नगर अने घरमा प्रवेश करती वखते तथा जवा श्राववामा वाम नामी शुन बे." तथा "पूजापव्यार्जनोघाहे उर्गाजिसरिदाक्रमे ।। गमागमे जीविते च गृहक्षेत्रादिसंग्रहे ॥१॥ क्रये विक्रयणे दृष्टौ सेवायां विद्विषो जये। विद्यापट्टानिषेकादौ शुजेऽर्थे च शुनः शशी ॥२॥" “पूजामां, अव्य उपार्जन करवामां, विवाहमां, तथा किहो, पर्वत अने नदीने उदवंघन करवामां, जवा आववामां, जीवितमां, घर क्षेत्र विगेरे लेवामां, क्रय विक्रयमां, दृष्टिमां, सेवामा ( नोकरी रहेवामां), शत्रुनो जय करवामां, विद्याना आरंजमां श्रने राज्याभिषेकमां ए विगेरे शुन्न कार्यमां चंड एटले चंड नामी ( वाम नामी ) शुन्न ." मूळ श्लोकमां “नूमिजलतत्त्वगतौ-" "पृथ्वी तत्त्व अने जळ तत्त्वनी गति होय त्यारे" एम कडं बे. ते विषे कह्यु के : "वायोर्वहेरपां पृथ्व्या व्योम्नस्तत्त्वं वहेत्क्रमात् ।। ____ वहन्त्योरुनयोर्नाड्योतिव्योऽयं क्रमः सदा ॥१॥" "वहन थर (चालती ) बन्ने नामीमां वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी अने श्राकाशनुं तत्त्व अनुक्रमे वहे बे-चाले . आवो क्रम निरंतर जाणवो.” ए पांचे तत्त्वोनो प्रवाह (गति-वहेवू ते ) आ प्रमाणे बे. "ऊर्ध्वं वह्निरधस्तोयं तिरश्चीनः समीरणः। पृथ्वी मध्यपुटे व्योम सर्वगं वहते पुनः ॥ १॥" "अग्नि तत्त्व उंचे वहे , जळ तत्त्व नीचे वहे , वायु तत्त्व तिरबुं वहे , पृथ्वी तत्त्व मध्य पुटमां वहे जे अने आकाश तत्त्व सर्वव्यापक श्रश्ने वहे ." तेनुं प्रमाण श्रारीते बे. "पृथ्व्याः पलानि पञ्चाश ५० च्चत्वारिंश ४० तथाम्नसः। अग्नस्त्रिंश ३० त्तथा वायोर्विंशति २० नैजसो दश १०॥१॥" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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