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॥ पञ्चमो विमर्शः॥
३०३ "मेष संक्रांतिमां जो रेवती नक्षत्रने विषे राहु रह्यो होय तो नादरवा मासना बीजा पखवामीयामां पुष्य नक्षत्रने विषे केतुनो उदय थाय बे. १.”
"सूर्ये वृषस्थितेऽश्विन्यां यदि याति विधुतुदः।
आश्विनस्योत्तरार्धे तमोहिण्यां केतुरीयते ॥२॥" __ "वृष राशिमां सूर्य रह्यो होय त्यारे जो अश्विनी नक्षत्रमा राहु रह्यो होय तो आश्विन मासना वीजा पखवामीयाने विष रोहिणी नक्षत्रमा केतु देखाय -उदय पामे ..”
"जरण्यां मिथनस्थेऽर्के यदि याति विधंतुदः।
कार्तिकस्योत्तरार्धे तदायां केतुदर्शनम् ॥ ३॥" “मिथुन राशिमा सूर्य रह्यो होय त्यारे जो नरणी नक्षत्रमा राहुरह्यो होय तो कार्तिक मासना बीजा पखवामीयामां आओ नक्षत्रने विषे केतुनुं दर्शन थाय . ३."
"कर्कस्थेऽर्के कृत्तिकायां यदि याति विधुतुदः।
मार्गशीर्षापरार्धे तत्केतूदयः पुनर्वसौ ॥४॥" "कर्क राशिमां सूर्य रह्यो होय त्यारे जो कृत्तिका नक्षत्रमा राहु रह्यो होय तो मार्गशीर्ष मासना बीजा पखवामीयामां पुनर्वसु नक्षत्रने विषे केतुनो उदय श्राय बे.."
“सिंहेऽर्के सति रोहिण्यां यदि याति विधुतुदः।
पौषमासापरार्धे तदश्लेषायां शिखीयते ॥ ५॥" - "सिंह संक्रांति होय त्यारे जो रोहिणी नक्षत्रमा राहु रहेलो होय तो पोष मासना बीजा पखवामीयामां अश्लेषा नक्षत्रने विषे केतु देखाय -उदय पामे बे. ५.”
"कन्यास्थेऽर्के मृगशीर्ष यदि याति विधुतुदः।
__ माघमासोत्तरार्धे तच्चित्रायां दृश्यते शिखी ॥ ६॥" "सूर्य कन्या राशिमा रह्यो होय त्यारे जो राहु मृगशीर्ष नक्षत्रमा रह्यो होय तो माघ मासना बीजा पखवामीयामां चित्रा नक्षत्रने विष केतु देखाय . ६."
"तुलार्के सति आर्जयां यदि याति विधुतुदः।।
फागुनस्योत्तरार्धे स्यान्मूले केतूदयस्तदा ॥ ७॥" "तुला राशिमां सूर्य होय त्यारे जो आर्म नक्षत्रमा राहु रहेलो होय तो फागुन मासना बीजा पखवामीयामां मूळ नक्षत्रने विषे केतुनो उदय थाय ने.."
"वृश्चिकेऽर्के पुनर्वस्वोर्यदि याति विधुतुदः।
चैत्रमासोत्तरार्धे स्यात्स्वातौ केतूदयस्तदा ॥ 6 ॥" "वृश्चिक राशिनो सूर्य होय त्यारे जो पुनर्वसु नक्षत्रमा राहु रहेलो होय तो चैत्र मासना बीजा पखवामीयामां स्वाति नक्षत्रने विष केतुनो उदय थाय बे..."
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