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॥श्रारंजसिद्धि नमा मंगळ, बुध श्रने शुक्र होय त्यारे पण राजयोग श्राय . सर्व मळीने अगीयार राजयोग थया.
फरीने बीजा बे राजयोग कहे .मेषूरणा १० य ११ तनु १ गाः शशिमन्दजीवा, शारौ धने सितरवी हिबुके नरेन्जम् । वक्रासितौ शशिसुरेज्यसितार्कसौम्या,
होरा १ सुखा । स्त ७ शुज ए खा १०प्ति ११ गताः प्रजेशम् ॥ १७॥ दशमा स्थानमां चंड होय, अगीयारमे शनि होय, लग्नमां गुरु होय, बीजे बुध अने मंगळ होय तथा चोथे स्थाने शुक्र अने रवि होय त्यारे राजयोग थाय बे. वळी होरामां एटले लग्नमां मंगळ अने शनि होय, चोथे चंड होय, सातमे गुरु होय, नवमे शुक्र होय, दशमे सूर्य होय अने अगीयारमे बुध होय त्यारे पण राजयोग थाय बे. या सर्वे मळीने बीजा नांगामां तेर राजयोग बे.
हवे प्रसंगने अनुसरीने बीजा योगो कहे जे.गुरुसितबुधबग्ने सप्तमस्थेऽर्कपुत्रे वियति दिवसनाथे लोगिनां जन्म विद्यात् । . शुन्नबलयुतकेन्ः क्रूरनस्थैश्च पापै
व्रजति शबरदस्युस्वामितामर्थनाक् च ॥ १० ॥ खन्नमां गुरु, शुक्र के बुध एमांनो कोइ पण होय अथवा गुरु, शुक्र के बुधनु लग्न होय एटले के धनुष, मीन, वृष, तुला, मिथुन के कन्या राशिनुं लग्न होय, तेमज सातमे शनि होय तथा दशमे सूर्य होय, आ प्रमाणे योग होय त्यारे ते समये उत्पन्न श्रयेला माणसो जोगवाळा थाय बे. वळी शुल ग्रहोनी राशि (उपर कही ते ज) बळवान् होय तथा केंघमां होय अने वळी क्रूर ग्रहो क्रूर ग्रहनी राशिमा रहेला होय त्यारे या प्रकारना योगमां उत्पन्न श्रयेल माणस जीमोनो अने चोरोनो स्वामी थाय ने तथा धनवान् थाय . श्रा प्रमाणे बृहत् जातकमां कहेला राजयोगो कह्या.
___ हवे बीजा पण राजयोगो या प्रमाणे बे.खग्ने शौरिस्तथा चन्छस्त्रिकोणे जीवनास्करौ।।
कर्मस्थाने जवेनौमो राजयोगस्तदा नवेत् ॥१॥ लग्नमां शनि तथा चंछ होय, त्रिकोणमां गुरु तथा सूर्य होय अने दशमा स्थानमा मंगळ होय त्यारे राजयोग १ थाय ने.
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