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॥ चतुर्थों विमर्शः॥
२४३ उत्पन्न श्रयेला माणसो पण राजा श्राय ने, परंतु ते ग्रहो पोताना उच्च विगेरे स्थानमा रह्या बतां पण जो बळहीन होय तो ते धनवान श्राय बे, पण राजा थता नथी. अहीं त्रणथी सात सुधीना पांच राजयोग थाय .
सिंहस्थेऽर्केऽजेन्दौ लग्ने नौमे स्वोच्चे कुंने मन्दे।।
चापं प्राप्ते जीवे राज्ञः पुत्रं विद्याद्भूमे थम् ॥ १३ ॥ मेष लग्नमां चंज होय, सिंह राशिनो सूर्य होय, मंगळ पोताना उच्च स्थाननो होय,
नो शनि होय तथा धनुष राशिनो गुरु होय त्यारे राजवंशमां उत्पन्न श्रयेलो पुत्र नूमिनो नाथ थाय ने एम जाणवू. अर्थात् राजयोग थाय .
फरीथी वे राजयोगोने कहे ._स्वर्दै शुक्र पातालस्थे धर्मस्थानं प्राप्ते चन्छ ।
ऽश्चिक्यांगप्राप्तिप्राप्तः शेषैर्जातः स्वामी जूमेः ॥ १४॥ ज्यारे कुंज खग्न होय त्यारे जो पाताल ( चोथा ) स्थाने एटले वृष राशिमां शुक्र रह्यो होय, धर्मस्थानमां एटले तुला राशिमां चंज रह्यो होय, चने बाकीना एटले रवि, मंगळ, बुध, गुरु अने शनि ए ग्रहो त्रीजा, पहेला अने अगीयारमा स्थानमा एटले मेष, कुंज अने धनुष राशिमा रह्या होय तो राजयोग थाय जे. वळी ज्यारे कर्क लग्न होय त्यारे जो पाताल ( चोथा) स्थाने एटले तुला राशिमां शुक्र होय, मीनमां चंड होय श्रने बाकीना रवि विगेरे ग्रहो कन्या, कर्क अने वृष राशिमां होय तोपण ते राजयोग कहेवाय . सर्व मळीने आठ राजयोग थया.
सौम्ये वीर्ययुते तनुसंस्थे वीर्यान्ये च शुले सुकृतस्थे ।
धर्मार्थोपचयेष्वथ शेषैर्धर्मात्मना नृपजः पृथिवीशः ॥ १५॥ खग्नमां बुध बळवान् होय, नवमा स्थानमा शुक्र के गुरु बळवान् श्रश्ने रह्यो होय अने बाकीना ग्रहो नवमा, बीजा, त्रीजा, बझा, दशमा अने अगीयारमा स्थानमा रह्या होय तो क्षत्रियनो पुत्र पृथ्वीपति प्राय ने, एटले राजयोग श्राय . सर्व मळीने नव राजयोग श्रया.
हवे बीजा बे राजयोग कहे .वृषोदये मूर्तिधनारिवानगैः शशांकजीवार्कसुताऽपरैर्नृपः।
सुखे गुरौ खे शशितीदणदीधिती यमोदये लाजगतैर्नृपोऽपरैः ॥ १६ ॥ वृष लग्नमां चंड होय, मिथुनमा गुरु होय, तुलानो शनि होय अने मीनमां बीजा एटले रवि, मंगळ, बुध अने शुक्र होय तो राजयोग थाय बे. तथा लग्नमां शनि होय, चोथा स्थानमां गुरु होय, दशमा स्थानमां सूर्य अने चंग होय तथा अगीयारमा स्था
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