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॥ आरंजसिदि॥ त्रीजो. रवि, मंगळ, गुरु, शुक्र अने शनिनी दृष्टि होय त्यारे चोथो. रवि, वुध, गुरु, शुक्र अने शनिनी दृष्टि होय त्यारे पांचमो. तथा मंगळ, बुध, गुरु, शुक्र अने शनिनी दृष्टि होय त्यारे बचो राजयोग थाय . तथा बए ग्रहो एटले रवि, मंगळ, बुध, गुरु, शुक्र अने शनि ए एनी दृष्टि लग्न उपर पमती होय त्यारे एक राजयोग थाय . श्रा सर्वे मळीने बावीश राजयोग थया. आ बावीश योगो मेष लग्ननो वर्गोत्तम होय त्यारे थया. ए रीते वृष, मिथुन विगेरे वारे राशिना लग्नने आश्रीने वावीश वावीश राजयोगो थतां कुल २६४ राजयोग थाय . ए ज रीते प्रत्येक राशिमां वर्गोत्तम नवांशमा रहेला चंजने आश्रीने पण २६४ राजयोग थाय . ते वन्ने मळीने कुल ५२७ योगो थया.
हवे पांच योगो कहे जे."यमे कुनेऽर्केऽजे गवि शशिनि तैरेव तनुगैनृयुसिंहालिस्थैः शशिजगुरुवरैर्नृपतयः। यमेन्यू तुंगेऽङ्गे सवितृशशिजौ षष्ठलवने,
तुलाऽजेन्मुक्षेत्रैः ससितकुजजीवैश्च नरपौ ॥ ३ ॥" "कुंचनो शनि होय, मेषमां सूर्य होय, वृषमां चंड होय, मिथुनमां बुध होय, सिंहनो गुरु होय अने वृश्चिकनो मंगळ होय. श्रा रीते ग्रहो रहेला होय अने तेमां वळी कुंज लग्न होय तो पहेलो योग, मेष लग्न होय तो बीजो अने वृष लग्न होय तो त्रीजो राजयोग थाय बे. तथा शनि अने चं पोताना उच्च स्थानना एटले के तुसानो शनि अने वृषनो चंड होय अने वळी खग्नमां रह्या होय तथा कन्या राशिमां सूर्य अने बुध होय, तुलामां शुक्र होय, मेषनो मंगळ होय, अने कर्कनो गुरु होय. आ प्रकारनी ग्रहोनी स्थितिमां तुला लग्न होय तो पहेलो योग अने वृष लग्न होय तो बीजो योग. तेने पूर्वना त्रण साथे गणतां पांच राजयोग थाय बे."
___ हवे त्रण राजयोगो कहे जे."कुजे तुङ्गेऽर्केन्योर्धनुषि यमलग्ने च नृपतिः, पतिमेश्चान्यः दितिसुतविलग्ने सशशिनि । सचन्छे सौरेऽस्ते सुरपतिगुरौ चापधरगे,
स्वतुङ्गस्थे नानावुदयमुपयाते क्षितिपतिः॥४॥" "मकरनो मंगळ होय, धनुष राशिमां सूर्य ने चंद्र होय, कोइ पण राशिमा रहेलो शनि लग्नमां होय त्यारे पहेलो राजयोग थाय . आ पहेला योगमां ज जो लग्नमां
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