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॥ चतुर्क विमर्शः॥ लग्न वीर्य रहित होय एम जे मूळ श्लोकमां कयुं तेमां एम समजवु के सौम्य स्वामी तथा सौम्य ग्रहने अनावे करीने तथा तेमनी दृष्टिने अनावे करीने तेमज क्रूर ग्रहोना स्वामी श्रने ग्रहोना होवापणाथी अथवा तेमनी दृष्टि पम्वाथी लग्न वीर्य रहित थाय बे.
मूळ श्लोकमां सौम्य ग्रहो बळहीन होय एम कडं जे. तेमां ग्रहोर्नु बळहीनपणुं जुवनदीपकनी वृत्तिमा अढार प्रकारे कडं बे.
"स्व १ मित्रनीचगो २ वक्रः ३ स्वराश्यस्ता । रिवर्गगः ५। खग्नावादशगः ६ षष्ठः ७ क्रूरैर्युक्तो छ ऽथ वीदितः ए॥१॥ याम्यो १० राहास्य ११ पुच्चस्थो १२ बालो १३ वृद्धो १५ ऽस्तगो १५ जितः १६।
मुथुशिले १७ मुशरिफे पापै १० रित्यबलो ग्रहः ॥५॥" "पोताना नीच गृहमा रहेलो ग्रह निर्बळ ने १. मित्रना नीच गृहमा रहेको प्रह निर्बळ ले २. श्रा बन्ने जातनो ग्रह नीच नवांशमा रह्यो होय तोपण निर्बळ जाणवो. वक्र अथवा वक्रतामां सन्मुख थयेलो ग्रह निर्बळ डे ३. पोताना गृहनी राशिथी सातमी राशिमा रहेलो ग्रह निर्बळ प. शत्रुरूप अथवा अधि शत्रुरूप ग्रहना गृह, होरा विगेरे उ वर्गमा रहेलो ग्रह निर्बळ चे ५. सनथी बारमे स्थाने रहेलो ग्रह निर्बळ . समथी बछे स्थाने रहेलो ग्रह निर्बळ वे अ. क्रूर ग्रहे करीने युक्त एवो ग्रह निर्बळ डे ७. क्रूर ग्रहे जोयेसो ग्रह पण निर्बळ चे ए. कर्कादिक उ राशिरूप दक्षिणायनमा रहेखो ग्रह निर्बळ डे १०. राहुना मुखमा रहेलो ग्रह निर्बळ डे ११. राहुना पुलमां रदेखो ग्रह निर्बळ ले १५. राहुन मुख अने पुन्छ आ प्रमाणे जाणवू.
“यत्र शहे स्थितो राहुर्वदनं तदिनिर्दिशेत् ।
मुखात् पञ्चदशे शके तस्य पुढं व्यवस्थितम् ॥ १॥" "जे नक्षत्रमा राहु रहेलो होय ते नक्षत्र राहुनुं मुख जाणवू, अने मुखश्री पंदरमुं जे नत्र होय त्यां तेनुं पुष्ठ रहेलुं ." __ बाळ एटले थोमा दिवसथी उदय पामेलो ग्रह निर्बळ ले १३. वृक्ष एटले अस्त श्रवामां सन्मुख श्रयेलो ग्रह निर्बळ ने, वृक्ष कहेवाथी अटप तथा रुक्ष बिंबवाळो अने कांतिरहित एवो ग्रह पण निर्बळ जाणवो १४. अस्त एटले सूर्यनां किरणोमा प्रवेश करवाथी अस्त पामेलो ग्रह निर्बळ ले १५. जीतायेलो एटले ग्रहोना युधमा जे ग्रह दक्षिणगामी होय ते निर्बळ , वराह कहे जे के शुक्र तो उत्तरगामी होय त्यारे जीतायेलो ने १६. मुथुशिल एटले शीघ्र गतिवाळो क्रूर ग्रह मंद गतिवाळा ग्रहना एक अंशमां मळ्यो होय श्रने वळी ज्यांसुधी ते मंद ग्रहनी पाबळ रह्यो होय त्यांसुधी ते मुथुशिल कहेवाय , तेनुं बीजुं नाम इथिशाब ले. श्रा मुथुशिल ग्रह निर्बळ होय ने १७. ज्यारे शीघ्र गतिवाळो क्रूर ग्रह मंद गतिवाळा प्रहना एक अंशमां मळीने पळी ते अंसने नवं
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