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॥ आरंलसिधि॥ तुला (त्राजवा ) राखीने वेठेला पुरुपने थाकारे तुला राशि मे, कटीनी नीचेनो लाग अश्वनी जेवो एटले चार पगवाळो अने शरीरनो जपरनो माग पुरुष जेयो, वळी जेना हाथमा धनुप बे एवा पुरुषने आकारे धन राशि , मृगना जेवा मुखवाळा मगरने थाकारे मकर राशि में, मस्तक पर कुंज रहेलो होय एवा पुरुपने आकारे कुंन राशि के. ("खांध पर खाली घमो रह्यो होय,” एम बृहजातकमां कडं बे.) एक बीजाना पुउनी सन्मुख जेनां मुख रहेलां वे एवा बे मत्स्यने आकारे मीन राशि के, तेथी करीने ज ा राशिनो उदय मस्तक अने पीरथी थाय बे. बाकीनी राशि एटले मेष, वृष, कर्क, सिंह अने वृशिक नामनी पांच राशि पोतपोतानां नामने समान रूपवाळी जाणवी. तेमज बारे राशिऊनी चेष्टा तथा स्थान विगेरे पण पोतपोतानां नामनी सदृश ज जाणवां एवो संप्रदाय . ते विषे सारंग कहे जे के
"मेषो दैन्यमुपैति गर्वति वृषो नानामतिर्मन्मथः, शूरः कर्कटको धृतिश्च वनपे कन्या च मायाविनी। सत्यं रज्जुतुखास्वलौ मलिनता चापश्च पापाशयो,
मोखर्य मकरे घटे चतुरता मीने च धीरा मतिः॥१॥" "मेष दीनताने पामे ने, वृष गर्विष्ठ थाय ने, मन्मथ ( मिथुन ) नाना प्रकारनी बुद्धिवाळी होय , कर्क शूरवीर होय , सिंह हिंमतवान् होय , कन्या कपटी होय , तुला सत्य अने रङ्गुनी जेम सरळ होय , वृश्चिक मलिन होय , धनुष (धन) पापप्रकृतिवाळी होय , मकर वाचाळ होय , कुंन चतुर होय ने अने मीन धीर बुद्धिवाळी होय ."
तेमज मेप अने वृष दिवसे अरण्यमा रहेनारी अने रात्रिए गाममा रहेनारी होय ने, मिथुन गाममा रहेनार ने, कर्क अने मीन जळमां रहे , सिंह अरण्यमां रहे , कन्या अने तुला गाममां रहे , वृश्चिक प्रवासी ने, धन अने कुंन गाममा रहे , तथा मकरनो पहेलो (मुखनो) नाग अरण्यवासी डे अने बीजो नाग जळचर बे.
चोरायेली के खोवायेली वस्तुना प्रश्न वखते चोरनी चेष्टा तथा स्थान जोवा माटे श्रा उपयोगी जे. ते ते लग्नमां उचित कार्य करवा माटे दैवझवसन एवं कहे जे के"राज्याभिषेक, विरोध, साहस, कूट कर्म विगेरे तथा धातुनी खाण विगेरे संबंधी कार्य मेष लग्नमां करवाथी सिघ थाय जे. विवाह, गृहप्रवेश, कन्यानो संबंध (वाग्दान) विगेरे ध्रुव कर्म तथा क्षेत्रनो आरंन अने पशु वेचवा लेवानां कार्यो वृष लग्नमां करवामां श्रावे . वृष लग्नमां कहेलां कार्य उपरांत विद्या, शिल्प अने अलंकार संबंधी कार्यो मिथुन लग्नमां सिम थाय जे. सेवा, जोग, मृऽ शुल कर्म, पौष्टिक कर्म, तथा वाव कूवा
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