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श्री उदयप्रनदेव सूरि विरचित
आरंसिदि. श्री हेमहंस गणि विरचित टीका सहित
श्री दरिना सूरि विरचित
लग्नशुदि. श्री रत्नशेखर सूरि विरचित
दिनशुदि.
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ए त्रणे ग्रंथो सर्वोपयोगी जाणी गुर्जर नापानुवाद
बपावी प्रसिद्ध करनार भावक जीमसिंह माणेक. पुस्तको प्रसिद्ध करनार तथा वेचनार.
मांमवी, मुंबश्.
संवत् १९७४. वीर संवत् २४. सने १५१७.
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