________________
१०८ : जैन भाषादर्शन
बुद्धथाकार बेचरदास ( पं० )
बौद्ध
ब्राह्मी लिपि
भगवतीसूत्र
भगवती आराधना भर्तृहरि
भाव - निक्षेप
भाषा
की उत्पत्ति
- ईश्वर सृष्ट नहीं -सादि या अनादि - को सापेक्षता
भाषातत्त्व और वाक्यपदीय
भाषा रहस्य प्रकरण भाषा-विज्ञान,
भाषा - विश्लेषण
-वाद
भोलानाथ तिवारी
मज्झिमनिकाय
मलयगिरि
महावीर (डॉ) महेन्द्र कुमार माणिक्यनन्दी माण्डूक्योपनिषद्
मातृकाक्षर मीमांसक
यलप्पा शास्त्री
यशोविजय
योग्यता
राजवार्तिक
मीमांसा दर्शन मीमांसा श्लोकवार्तिक
५६
१९
५, ३३, ३६, ५२, ५३
२४
१०,
११
८९, ९२, ९३
३०, ३४, ४३,
७८
(डॉ) राजेन्द्र प्रसाद
लघीयस्त्रयी
लब्ध्यक्षर
Jain Education International
५, ६, ७,
१३
१४
१४
९८
४३, ५०६०
३२
२, १४
२, ३, ५
१००
९,
१८
६, ७, ८, ९, ११, १२, १००
८१
१४
१०
५
८३
२४
१३, ४४, ४५, ४८, ५१, ५६
४, ३६, ६९, ८१
६६
२६
३२, ७७
६७
८२, ९२
२६
७३, ७७
२२
ललितविस्तर लिपि
-अठारह
- चौसठ
लुड्विग विट्गैन्स्टिन
वाक्य
वाक्य के स्वरूप के सम्बन्ध में विभिन्नमत ५९,
६०
३०, ३४, ४३, ४४, ६०
४७
५८, ८७, ८८ ३२ ९, ९९
१५, १६१८,
२०, २२,
२३, २५, २७८५, ९८
३१
३६
३५, ६३
वाक्यपदीय
वाच्य वाचक सम्बन्ध
वादिदेव सूरी
वासित - शब्द विभज्यवाद विशेषावश्यकभाष्य
वीचित रंगन्याय वैयाकरण-दर्शन वैयाकरणिक
वैस्रसिक- शब्द
व्यञ्जनाक्षर
व्यवहार नय
व्यावहारिक प्रत्यक्ष
शब्द
—की परिभाषा
—के प्रकार
—की आणविक संरचना —की पौद्गलिकता
-की अनित्यता
-के वाच्यार्थ का निर्धारण -की संकेतक शक्ति —की सहजयोग्यता
—का वाच्यार्थ से सम्बन्ध
-और उसके वाच्यार्थ सम्बन्ध की
अनित्यता
—का वाच्य सामान्य या विशेष - का पद और वाक्य से अन्तर
२६
२४
२४
२६
३, ४९, ५७
For Private & Personal Use Only
२८
२२
७३,७५
८८
♡ ♡ x m w v~ ~ %
३०
२९
३४
३३
३६
३८
३८
३८
४७
४८
४४
५८
www.jainelibrary.org