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________________ आर्द्रा के विभिन्न चरणों के स्वामी हैं-प्रथम चरणः गुरु, द्वितीय चरणः शनि, तृतीय चरण: शनि, चतुर्थ चरण: गुरु। आर्द्रा के विभिन्न चरणों में सूर्य की स्थिति __ आर्द्रा के विभिन्न चरणों में स्थित सूर्य प्रायः शुभ फल देता है। वह ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता भी बनाता है। प्रथम चरण: यहाँ सूर्य के फलस्वरूप जातक विद्वान और धनी होता है। गणित में वह दक्ष होता है। वह ज्योतिष शास्त्र का भी ज्ञाता होता है। द्वितीय चरणः यहाँ सूर्य जातक को मधुरभाषी, विद्वान और परिवार में प्रिय बनाता है। तृतीय चरण: यहाँ सूर्य व्यक्ति को विविध विषयों का ज्ञाता और ज्योतिष-शास्त्र में दक्ष बनाता है। वित्तीय विषयों की भी उसे अच्छी जानकारी होती है। । चतुर्थ चरणः यहाँ सूर्य हो तो व्यक्ति सज्जन, शास्त्रज्ञ, ज्योतिष शास्त्र में निपुण होता है। उसका व्यक्तित्व आकर्षक होता है। चालीस वर्ष के बाद उसे जीवन में सफलता मिलती है। आर्द्रा स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि ___ चंद्र की दृष्टि हो तो जातक आजीविका की तलाश में जन्मभूमि से दूर जाता है। संबंधी उसे पीड़ित करते हैं। मंगल की दृष्टि उसे आलसी बना देती है। शत्र भी उसे दुखी करते हैं। बुध की दृष्टि भी अच्छा फल नहीं देती। हाँ, उसे संतान के कारण सुख मिलता है, पर यहाँ भी संतान की समृद्धि उसे संबंधियों के ईर्ष्या-द्वेष का पात्र बनाती है। गुरु की दृष्टि उसे तंत्र-मंत्र में प्रवीण बनाती है, पर उसका पारिवारिक जीवन सुखी नहीं होता। शुक्र की दृष्टि के फलस्वरूप वह विदेश में वासकर धनोपार्जन करता है। . शनि की दृष्टि उसे चतुर बनाती है लेकिन स्त्रियों के हाथों उसे अपमानित भी होना पड़ता है। आर्द्रा के विभिन्न चरणों में चंद्र की स्थिति __ आर्द्रा के तृतीय चरण को छोड़ शेष अन्य चरणों में चंद्र सामान्य फल देता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 96 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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