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आर्द्रा
राशि पथ में आर्द्रा नक्षत्र की स्थिति 66.40 अंशों में 80.00 अंशों के मध्य मानी गयी है। पर्यायवाची अन्य नाम हैं-अरबी में इसे अल हनाह कहा जाता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र आर्द्रा नक्षत्र में केवल एक तारे की उपस्थिति को मानता है, जबकि अरबी उसे दो तारों को मिलाकर बना मानते हैं। इसकी आकृति मणि जैसी मानी गयी है। आर्द्रा का देवता रूद्र को माना गया है, जबकि स्वामी ग्रह है-राह।
नाडीः आद्या, योनिः श्वान, गण: मनुष्य । चरणाक्षर हैं-कू, घ, ङ, छ। इस नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि (स्वामीः बुध) के अंतर्गत होते हैं।
आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक कर्तव्यनिष्ठ, कठिन परिश्रमी तथा सौंपे गये कार्यों को जिम्मेदारी से निभाने वाले होते हैं। उनमें विविध विषयों का ज्ञान पाने की भी ललक होती है। विनोदी वृत्ति के ऐसे जातक सबसे सज्जनता पूर्ण व्यवहार करते हैं। ऐसे जातक प्रायः अपने जन्म-स्थल से दूर ही जीवन बिताते हैं। चूंकि वे हर विषय में कुछ न कुछ जानकारी रखते हैं, अतः वे शोधकार से लेकर व्यवसाय तक सभी में सफल हो सकते हैं। यद्यपि जीवन में उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तथापि वे कभी उनका औरों से जिक्र नहीं करते। __ ऐसे जातकों का शीघ्र विवाह दुखदायी हो सकता है, जबकि विलम्ब से विवाह पूर्ण पारिवारिक सुख का संकेत करता है।
आर्द्रा नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं सुंदर नेत्र, जरा ऊंची नाक वाली होती हैं। वे बुद्धिमती, शांतिप्रिय तथा दूसरों की सहायता में भी तत्पर रहती हैं। तथापि अनाप-शनाप खर्च की तथा छिद्रान्वेषी प्रकृति कलह पैदा करने वाली होती हैं।
ऐसी जातिकाओं का विवाह प्रायः विलम्ब से होता है, तथापि उन्हें पति या पति के परिवार में पूर्ण सुख नहीं मिलता।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 95
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