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कृत्तिका नक्षत्र स्थित मंगल
प्रथम चरण: यहाँ मंगल जातक को तार्किक एवं प्रशासनिक क्षमता से युक्त करता है फलतः वकालत, सेना या पुलिस सेवा में उसे विशेष सफलता प्राप्त हो सकती है। मंगल एवं सूर्य की महादशाओं, अंतर्दशाओं में जातक शीर्षस्थ पद पर पहुँचने के लिए संघर्ष तेज करता है। जातक में पर-स्त्रियों के प्रति आसक्ति पायी जाती है।
द्वितीय चरण: यहाँ मंगल हो तो जातक उदार, बेहतर मेहमान-नवाज तथापि प्रतिहिंसा की भावना से भी युक्त होता है।
तृतीय चरणः यहाँ मंगल जातक को सत्तापक्ष से अधिकाधिक लाभान्वित करवाता है। वह इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी जा सकता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ मंगल स्थित हो तो जातक जीवन में संपूर्ण सुखों का भोग करता है। विवाह के बाद जीवन तपस्वी होता है। बच्चे भी आज्ञाकारी
और कर्तव्यनिष्ठ होते हैं। जातक औषध या विस्फोटक सामग्री के विक्रय से विशेष लाभान्वित होता है।
कृत्तिका स्थित मंगल पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो पत्नी लोभी मिलती है। जातक की वन प्रांतर में रहने की प्रवृत्ति होती है। __चंद्र की दृष्टि जातक को मातृ विरोधी बना देती है। बहुपत्नीत्व के भी संकेत कहे गये हैं। ___ बुध की दृष्टि जातक को धार्मिक, मितभाषी, धनी एवं ललितकला प्रिय बनाती है।
गुरु की दृष्टि भी जातक को संगीत एवं ललित कलाओं में निपुण बनाती है। जातक की परिवार में घोर आसक्ति होती है।
शुक्र की दृष्टि से जातक सैन्य सेवा में उच्च पद पर कार्य करता है।
शनि की दृष्टि भी शुभ फल देती है। जातक धनी, स्वस्थ एवं सबके आदर का पात्र बनता है।
कृत्तिका नक्षत्र स्थित बुध के फल
प्रथम चरणः इस चरण में बुध हो तो जातक शासकीय सेवा में रत रहता है। व्यवसाय में हो तो उसे सत्तापक्ष से लाभ मिलता है। जातक समाज में भी आदर पाता है। उसमें ललित कलाओं एवं अभिनय के प्रति भी रुचि होती है। वह सुरा-सुंदरी का भी शौकीन होता है।
- ज्योतिष कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 75
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