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शुभ ग्रह है। अत: इस नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति सौंदर्य-प्रिय, भौतिकवादी होता है। कला, गायन, खेल कूद में उसकी रुचि होती है। वह चतुर, शत्रु पर अप्रत्याशित आक्रमण करने में कुशल तथा महत्त्वाकांक्षी होता है। इन नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति चित्रकार बन सकते हैं।
स्त्रियों के लिए भरणी नक्षत्र शुभ माना गया है। वह उनमें (शुक्र के प्रभाव के कारण) स्त्रियोचित गुण बढ़ाता है। भरणी नक्षत्र में जन्मी लड़कियों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। वे निर्भीक, आशावादी, अपनी इच्छानुसार कार्य करने वाली होती हैं तथापि वे माता-पिता और बड़ों का आदर करने वाली भी होती हैं। वे अपनी आजीविका स्वयं कमाने में भी समर्थ होती है। वे अवसरों की प्रतीक्षा नहीं करतीं, वरन् स्वयं अवसरों की तलाश में निकल पड़ती हैं। उनका पारिवारिक जीवन सुखी होता है। वे पति की न केवल प्रिय होती हैं, वरन् अपने गुणों के कारण उस पर शासन भी करती हैं। फलतः परिवार के अन्य व्यक्तियों से उनकी अनबन हो ही जाती है।
भरणी के चरणों के स्वामी हैं-प्रथम चरणः सूर्य, द्वितीय चरणः बुध, तृतीय चरण: शुक्र, चतुर्थ चरण: मंगल
भरणी के विभिन्न चरणों में सूर्य
भरणी के प्रथम दो चरणों में सूर्य की स्थिति शुभ मानी गयी है, जबकि शेष अंतिम दो में मिश्रित फल प्राप्त होते हैं।
प्रथम चरणः इस चरण में सूर्य जातक को विद्वान, उदार, व्यवहार-कुशल और भाग्यशाली बनाता है। ज्योतिष में उसकी रुचि होती है। वह चिकित्सा, पशु चिकित्सा अथवा विधि (कानून) के क्षेत्र में यशस्वी होता है।
द्वितीय चरण: इस चरण में स्थित सूर्य जातक को सुख-सम्पन्न बनाता है। उसे लाटरी, विरासत या अन्य किसी कारण से अनायास ही धन प्राप्त हो सकता है। ऐसे जातक का पारिवारिक जीवन बहुत सफल, समृद्ध और सुखी होता है। उसे संतान से भी संतुष्टि मिलती है।
तृतीय चरणः यहाँ सूर्य की स्थिति अच्छी नहीं मानी गयी है। यद्यपि जातक पर्याप्त संपत्ति अर्जित करता है तथापि उसे गवां भी देता है।
चतुर्थ चरणः इस चरण में स्थित सूर्य जातक का बाल्यकाल दुखी और अभावग्रस्त बना देता है। यदि ऐसे सूर्य पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हुई तो जातक दरिद्र नहीं होता अन्यथा ऐसा सूर्य भीख तक मंगवा सकता है।
'भरणी स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि चंद्र की दृष्टि जातक को उदार-परोपकारी बनाती है।
... ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 65
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