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अश्विनी
राशियों में अश्विनी नक्षत्र की स्थिति 0.00 अंशों से 13.20 अंशों तक मानी गयी है ।
• अश्विनी के भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पर्यायवाची नाम हैं, तुरंग, दस् एवं हृय ।
यूनानी अथवा ग्रीक उसे 'कैस्टर - पोलक्स' कहते हैं, जबकि अरबी में 'अश शरातन' । चीनी इस नक्षत्र को 'लियू कहते हैं।
अश्विनी नक्षत्र में तारों की संख्या में मतभेद है। यूनानी, अरबी उसमें दो तारों की स्थिति मानते हैं, जबकि भारतीय ज्योतिष के अनुसार तीन तारों को मिलाकर इस नक्षत्र की रचना की गयी है।
अश्विनी की आकृति अश्व अथवा घोड़े के समान कल्पित की गयी, इसीलिए इस नक्षत्र को यह नाम दिया गया। यों बाद में इनका संबंध देवगण के वैद्य द्वय अश्विनी कुमारों से भी जोड़ दिया गया। अश्विनी नक्षत्र से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है, उसकी आगे चर्चा ।
सर्वप्रथम अश्विनी नक्षत्र का ज्योतिषीय परिचयः
अश्विनी नक्षत्र के देवता हैं-अश्विनी कुमार, जबकि स्वामी केतु माना गया है । (केवल विंशोत्तरी दशा में)
गणः देव, योनिः अश्व एवं नाड़ी आदि है 1
नक्षत्र के चरणाक्षर हैं-- चू, चे, चो, ला।
यह नक्षत्र प्रथम राशि मेष का प्रथम नक्षत्र है ।
(मेष राशि में अन्य नक्षत्र हैं- भरणी के चारों कृषिका का
एक चरण) यह गंडमूल नक्षत्र कहलाता है
ज्योतिष-कोमुदी : (खंड-1) दिवार 49
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