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भले ही अर्थहीन लगते हों, पर उनका एक महत्त्व और उपयोग है।
अकेले चरणाक्षर से ज्योतिष शास्त्र का कोई भी अनुभवी अध्येता किसी भी व्यक्ति की चंद्र लग्न एवं नक्षत्र एवं वह नक्षत्र जिस राशि के अंतर्गत आता है, तथा नक्षत्र एवं राशि के स्वामी ग्रह की जानकारी के आधार पर उस व्यक्ति विशेष के संबंध में पर्याप्त जानकारी पा सकता है।
अगर भारतीय ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों पर विश्वास रखते हैं तो हम यह भी जानते हैं कि किसी भी जातक के जन्म नक्षत्र, राशि एवं नक्षत्र एवं राशि के स्वामी आदि का उस जातक के व्यक्तित्व, स्वभाव आदि पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है । और यही बातें किसी भी व्यक्ति के भाग्य-1 - निर्धारण में भी पर्याप्त भूमिका निभाती हैं। जन्म नक्षत्र, राशि, राशि के स्वामी ग्रहों के शुभ - अशुभ प्रभाव का आकलन कर कोई भी व्यक्ति अपने दोषों को दूर कर गुणों में वृद्धि कर सकता है।
अतः जन्म नक्षत्र का महत्त्व है तथा उसके चरणों के लिए नियत अक्षरों की भी अपनी कम उपयोगिता नहीं है ।
यहाँ प्रस्तुत है, विभिन्न नक्षत्रों के चरणाक्षरः
प्रथम
द्वितीय
चे
नक्षत्र
अश्विनी
भरणी
कृत्तिका रोहिणी
स्वाति
मृगशिरा आर्द्रा
पुनर्वसु पुष्य आश्लेषा मघा
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पूर्वा फाल्गुनी उत्तरा फाल्गुनी टे
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ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1 ) नक्षत्र - विचार ■ 23
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