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________________ तृतीय चरणः यहाँ बुध के साथ सूर्य की युति हो तो जातक का स्वभाव उग्र हो सकता है। चतुर्थ चरणः यहाँ सूर्य के अच्छे फल कहे गये हैं। जातक का स्वभाव उग्र हो सकता है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में स्थित किसी भी ग्रह पर अन्य ग्रहों की दृष्टि के फल प्रायः वहीं हैं, जो मूल नक्षत्र में स्थित ग्रह-विशेष पर अन्य ग्रहों की दृष्टि के होते हैं। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में चंद्र के फल प्रथम चरणः यहाँ जातक संपन्न जीवन बिताता है। । द्वितीय चरणः यहाँ चंद्र पर पाप ग्रहों की दृष्टि बचपन में जातक के जीवन के लिए अशुभ मानी गयी है। तथापि इस चरण में जातक में चोरी की प्रवृत्ति भी बतायी गयी है। तृतीय चरण: यहाँ जातक उदार, सद् व्यवहार से युक्त तथा विद्वान होता है। जातक को पिता से विशेष लाभ नहीं मिलता। वह अपने प्रयत्नों से जीवन में उन्नति करता है। ____ चतुर्थ चरण: यहाँ जातक का पारिवारिक जीवन सुखी होता है। पत्नी अच्छी मिलती है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में मंगल के फल प्रथम चरणः यहाँ मंगल जातक के लिए विदेश-गमन की स्थिति दर्शाता है। उसे विश्वासघात का भी शिकार होना पड़ सकता है, जिससे उसे पर्याप्त आर्थिक क्षति उठानी पड़ सकती है। द्वितीय चरण: यहाँ मंगल हो तो जातक में स्वार्थ की भावना बढ़ जाती है। तृतीय चरणः यहाँ मंगल हो तो जातक प्रथम चरण की भांति विदेश गमन करता है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। चतुर्थ चरण: यहाँ मंगल हो तो जातक स्वस्थ एवं सतर्क होता है। बुध के साथ मंगल की युति उसे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ले जा सकती है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में बुध के फल प्रथम चरणः यहाँ जातक की कल्पना शक्ति प्रखर होती है। उसका अभिव्यक्ति पर भी अधिकार होता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार । 232 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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