________________
तृतीय चरण: यहाँ सूर्य जातक को साहसी बनाता है। पैंतीस से चौवालिस वर्ष की अवस्था सर्वोत्तम होती है।
चतुर्थ चरणः यहाँ सूर्य के कारण जातक में व्यावसायिक बुद्धि होती है।
पूर्वाषाढ़ा स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
चंद्र की दृष्टि जातक को मधुरभाषी बनाती है । पुत्र भी सुंदर होता है। मंगल की दृष्टि प्रतिरक्षा सेनाओं या पुलिस सेवा में यशस्वी बनाती है । बुध की दृष्टि हो तो जातक शास्त्रज्ञ, मंत्रज्ञ, धातुओं के व्यापार से लाभ कमाने वाला होता है ।
गुरु की दृष्टि जातंक की पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि करती है। वह मंत्री - तुल्य सम्मान पाता है ।
शुक्र की दृष्टि हो तो जातक वैभव-संपन्न व विलासिता -प्रिय होता है । शनि की दृष्टि हो तो जातक को पशु-पालन से लाभ होता है। वह कुसंगति का भी शिकार हो सकता है।
पूर्वाषाढा नक्षत्र में चंद्र की स्थिति के फल
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति न केवल जातक वरन् उसके माता-पिता, मामा आदि के लिए भी अशुभ मानी गयी है।
प्रथम चरणः यहाँ चंद्र माता के लिए अशुभ होता है। स्वयं तेरहवें वर्ष में जातक के स्वयं के स्वास्थ्य को खतरा रहता है ।
द्वितीय चरण: यहाँ चंद्र के कारण जातक की नौ माह की अवस्था में पिता को खतरा बताया गया है। यों वयस्क होने पर जातक बुद्धिमान, शास्त्रज्ञ और परोपकारी वृत्ति का होता है ।
तृतीय चरण: यहाँ चंद्र को मामा के लिए अशुभ कहा गया है। स्वयं जातक शांत प्रकृति का, स्वाभिमानी और सद्व्यवहार से युक्त होता है। चालीस वर्ष की अवस्था के बाद अर्थाभाव की स्थिति बन सकती है।
चतुर्थ चरण ः यहाँ जातक के स्वयं के लिए खतरा होता है। किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो उसे दीर्घायुष्य होने में भी कोई संदेह नहीं ।
पूर्वाषाढ़ा स्थित चंद्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को यशस्वी एवं ऐशो आराम से युक्त बनाती है । मंगल की दृष्टि हो तो जातक के सुरक्षा या पुलिस सेवा में जाने की संभावना प्रबल होती है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार ■ 198
Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org