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व्यवसाय के क्षेत्र में भी वे सफल हो सकते हैं, बशर्ते उनके अधीनस्थ कर्मचारी ईमानदार एवं विश्वास योग्य हों।
ऐसे जातकों का विवाह प्रायः विलम्ब से होता है तथापि उनका वैवाहिक जीवन न्यूनाधिक रूप से सुखी ही रहता है। इसका एक कारण यह है कि तमाम विवादों के बावजूद वे पत्नी को बेहद प्यार करते हैं। ऐसे जातकों की संतानें भी अच्छी होती हैं।
ऐसे जातकों को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान देना चाहिए, विशेषकर श्वास सम्बन्धी किसी भी शिकायत को हल्के से नहीं लेना चाहिए। . पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं सुंदर होती हैं। लंबी नाक, भव्य चेहरा, आँखों में एक चुम्बकीय आकर्षण, यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता होती है।
ऐसी जातिकाएं बुद्धिमती, ऊर्जा युक्त, सक्रिय और उत्साह से पूर्ण होती हैं। वे विपरीत परिस्थितियों में झुकना नहीं जानती तथा वे काफी सोच-विचार व सभी अच्छे-बुरे पहलुओं का आकलन करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुँचती हैं। झूठ से उन्हें चिढ़ होती है, क्योंकि वे स्वयं सत्य पर विश्वास करती हैं। वे अपनी बात भी निःसंकोच भाव से व्यक्त कर देती हैं।
गृह कार्य में चतुर ऐसी जातिकाएं पति की प्रसन्नता का पूरा ध्यान रखती हैं। उनका पारिवारिक जीवन सुखी ही बीतता है।
ऐसी जातिकाओं का स्वास्थ्य प्रायः ठीक ही रहता है, तथापि उन्हें गर्भाशय संबंधी किसी शिकायत की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी इस प्रकार हैं-प्रथम चरणः सूर्य, द्वितीय चरणः बुध, तृतीय चरणः शुक्र एवं चतुर्थ चरणः मंगल।
पूर्वाषाढा नक्षत्र में सूर्य के फल
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में सूर्य स्थित हो तो सामान्यतः शुभ फल ही मिलते हैं।
प्रथम चरणः यहाँ सूर्य जातक के जीवन को सुख-सुविधाओं से पूर्ण बनाता है। जातक जीवन में भौतिकता एवं आध्यात्मिकता का समन्वय स्थापित करता है।
द्वितीय चरणः यहाँ सूर्य के कारण जातक धनी एवं सबके आदर का पात्र होता है। लेकिन उसका हठी स्वभाव कभी-कभी परेशानी पैदा कर सकता है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 197
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