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इस गैस के अणुओं की गुरुत्वाकर्षण शक्ति उन्हें परस्पर पास लाती है और विशाल बादल, जिसे 'प्रोटोस्टार' कहा जाता है, लघुकाय होने लगता है।
जैसे-जैसे यह प्रोटोस्टार सिकुड़ने लगता है, उसके केंद्र का तापमान बढ़ने लगता है। जब यह तापमान 1,800,000 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है, तो तारा अपनी मध्यावस्था की ओर अपेक्षाकृत धीमी और स्थिर गति से अग्रसर होने लगता है।
क्या तारों में ऊर्जा होती है ?
हाँ, तारों में ऊर्जा होती है। तारे की मध्यावस्था में उद्जन या हाइड्रोजन गैस के अणु निरंतर परस्पर निकट आकर एक नयी गैस-हीलियम गैस-की रचना करने लगते हैं। हर बार जब उद्जन गैस के अणुओं से हीलियम गैस का कोई अणु बनता है तो प्रकाश एवं ताप के रूप में उससे ऊर्जा का प्रवाह होता है।
किसी भी तारे द्वारा निसृत की जाने वाली अपार ऊर्जा के लिए करोड़ों टन उद्जन गैस हीलियम गैस में परिवर्तित होती है।
तारों की यह ऊर्जा कहाँ जाली है ?
अधिकांश तारों की ऊर्जा अंतरिक्ष में समाहित हो जाती है, लेकिन जो थोड़ी ऊर्जा शेष रहती है, उससे तारा निरंतर गर्म होने लगता है। जब तारे के मध्य का तापमान 100 मिलियन डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है तो तारा फैलने लगता है और हीलियम के अणु, और भारी हीलियम अणुओं की संरचना के लिए परस्पर मिलने लगते हैं।
क्या तारों में विस्फोट भी होता है ?
यदि यह सम्मिलन क्रिया तीव्र गति से होती है तो तारों में विस्फोट हो जाता है और अंतरिक्ष में उसके तत्व विलीन होने लगते हैं।
क्या तारों का अवसान भी होता है ?
हाँ, तारे भी जन्म-मरण की प्रक्रिया के शिकार होते हैं। जब तारों में विस्फोट होता है तो तारे के जीवन का यह चरण 'सुपरनोवा' चरण कहलाता है। हालांकि ऐसा यदा-कदा ही होता है।
अक्सर तारे धीरे-धीरे विस्तारित होकर एक विशाल लाल रंग के तारे ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 14
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