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________________ बनाता है। उसे अच्छी पत्नी मिलती है। स्वास्थ्य और धन की दृष्टि से भी जीवन उत्तम बीतता है। चतुर्थ चरण ः यहाँ गुरु जातक को प्रकाशन व्यवसाय से जोड़ता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह स्थिति शुभ नही है। जातक को उदर रोगों से पीड़ा बनी रहती है । हस्त स्थित गुरु पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि शुभ फल देती है। जातक धनी और पत्नी, बच्चे एवं संबंधियों का पूर्ण सुख प्राप्त करता है। चंद्र की दृष्टि उसे व्यवहार कुशल, सफल प्रशासक बनाती है । मंगल की दृष्टि उसे सेना में सेवा के लिए प्रवृत्त करती है। बुध की दृष्टि ज्योतिर्विद बनाती है। पारिवारिक जीवन सुखी रहता है । शुक्र की दृष्टि का शुभ फल नहीं होता । जातक को स्त्रियों से अपमानित होना पड़ता है। शनि की दृष्टि उसे शासन का कृपा भाजन बनाती है। जातक राजनीतिक दायित्व सफलतापूर्वक संपादित करता है। हस्त के विभिन्न चरणों में शुक्र हस्त के विभिन्न चरणों में शुक्र व्यक्ति को मिष्ठान प्रिय, विलासी और रोगी बनाता है । पारिवारिक जीवन के लिए भी यह स्थिति शुभ नहीं है। प्रथम चरण ः यहाँ शुक्र जातक को मिष्ठान प्रिय बनाता है फलत: अच्छे स्वास्थ्य के बावजूद शर्करा रोग का शिकार हो जाता है। जातक का पारिवारिक जीवन सुखी नहीं बीतता । द्वितीय चरणः यहाँ शुक्र एकाधिक स्त्रियों से संबंध कराता है, फलतः उसका पारिवारिक जीवन नर्क तुल्य बन जाता है। तृतीय चरण: यहाँ शुक्र जातक को मिष्ठान भोजी बनाता है। जातक या तो सूती मिल में सेवारत होता है या फिर कपड़े का व्यवसाय करता है। चतुर्थ चरणः यहाँ शुक्र जातक को अत्याधिक विलासी बनाता है फलतः वह यौन रोगों का भी शिकार होता है। वह मद्य प्रेमी भी होता I हस्त स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि जातक को सुरक्षा विभाग में उच्च पद दिलाती है। चंद्र की दृष्टि उसे सुरुचिपूर्ण स्वभाव देती है । ज्योतिष- कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 148 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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