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चतुर्थ चरणः यहाँ भी शुक्र वैवाहिक जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है। जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है।
पूर्वा फाल्गुनी स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को विद्वान बनाती है। जातक शासकीय सेना में होता है ।
चंद्र की दृष्टि के फलस्वरूप इसका जीवन सुखी, समृद्धिशाली और व्यक्तित्व आकर्षक होता है।
मंगल की दृष्टि का फल शुभ नहीं होता। स्त्रियों की कुसंगति में जातक पैतृक संपत्ति का नाश कर देता है ।
बुध की दृष्टि उसे हर दृष्टि से सुखी रखती है। जातक धनी होता है । उसे संतान सुख भी मिलता है।
गुरु की दृष्टि जातक को हर दृष्टि से सौभाग्यशाली बनाती है ।
शनि की दृष्टि का शुभ फल नहीं होता। जीवन अभावग्रस्त और कष्टमय बीतता है ।
पूर्वा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में शनि
पूर्वा फाल्गुनी के प्रथम चरण को छोड़कर विभिन्न चरणों में शनि प्रायः शुभ फल देता है।
प्रथम चरण ः यहाँ शनि बचपन को बेहद कष्टकारक बना देता है। जातक को मस्तिष्क - विकार की भी आशंका बनी रहती है ।
द्वितीय चरण: यहाँ शनि शुभ फल देता है। जातक संवदेनशील लेखक होता है । वह उदार और उत्साही भी होता है। उसका पारिवारिक जीवन शुभ से बीतता है। प्रौढ़ावस्था में समाज की उसे मान्यता प्राप्त होती है । तृतीय चरण: यहाँ शनि जातक को अत्यंत परोपकारी बनाता है । जातक सत्यनिष्ठ कार्य कुशल और दूसरों की सहायता के लिए सदैव तत्पर होता है ।
चतुर्थ चरणः जातक घोर परिश्रमी होता है, पर उसे अपने परिश्रम का फल तत्काल नहीं मिलता। उसे विलंब से सफलता मिलती है।
पूर्वा फाल्गुनी स्थित शनि पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि शुभ फल नहीं देती। जातक स्वभाव से उग्र और निम्न कोटि के कार्यों में प्रवृत्त होता है।
ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार ■ 135
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