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________________ और विज्ञान के विषयों का विद्वान होता है। वह सच्चा मित्र सिद्ध होता है। द्वितीय चरणः यहाँ गुरु जातक को सर्वप्रिय - मधुरभाषी बनाता है। बुध - गुरु की युति उसे विधि-क्षेत्र में सफल बनाती है। मंगल गुरु की युति उसे सफल - सक्षम प्रशासक के रूप में प्रतिष्ठित करती है। तृतीय चरणः यहाँ गुरु सर्वोत्तम फल देता है। जातक विद्वान, प्रसिद्ध और जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता है। वह सहज ही शीर्ष पद पर पहुँच जाता है । चतुर्थ चरणः यहाँ भी गुरु शुभ फल देता है। जातक कीर्तियुक्त धनी होता है । अध्यात्म के प्रति भी उसकी रुचि होती है । पूर्वा फाल्गुनी स्थित गुरु पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि जातक को परोपकारी बनाती है । उसमें नेतृत्व की भी क्षमता होती है। चंद्र की दृष्टि का भी शुभ फल होता है। जातक सौभाग्यशाली, पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह करने वाला और सुखी होता है। मंगल की दृष्टि उसे भूमि के क्रय-विक्रय या भवन-निर्माण के व्यवसाय में प्रवृत्त करती है । वह हर क्षेत्र में सफल होता है 1 बुध की दृष्टि से जातक की ज्योतिष शास्त्र में सक्रिय रुचि होती है। वह मृदुभाषी और दूसरों को प्रभावित, आकर्षित करने वाला भी होता है। शुक्र की दृष्टि भी उसे भवन निर्माण के व्यवसाय में प्रवृत्त करती है । शनि की दृष्टि का शुभ फल होता है। जातक धनी और अपने समाज का नेता होता है। पूर्वा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में शुक्र पूर्वा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में शुक्र शुभ फल देता है, विशेषकर वैवाहिक जीवन में । प्रथम चरण: यहाँ शुक्र जातक को उदार, परोपकारी और धनी बनाता है। सभी इससे संतुष्ट और प्रसन्न रहते हैं । द्वितीय चरणः यहाँ भी शुक्र शुभ फल देता है । तृतीय चरण: यहाँ शुक्र जातक का वैवाहिक - पारिवारिक जीवन सुखी रखता है । पत्नी सुदंर, सुशील होती है। जातक को स्त्रियों के माध्यम से लाभ मिलता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 134 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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