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________________ दोषाकर दंशन द्रविण द्रह द्वय द्राक्षा द्वापर द्विज द्विजिह्व द्विरद घुसद् धरा धरासुर धव धुरन्धर धूमकेतु धेनु ध्याति ध्रुव ध्वान्त नक्र नमुचि नमोह नलाशय नवोढा नाक नाद निकृन्तिन् निगड़ निगल नितम्बिनी निपात निमेषभाव Jain Education International चन्द्र काटना धन सरोवर दो दाख दूसरे युग का नाम पक्षी सर्प, निन्दक हाथी देवता पृथ्वी ब्राह्मण पति भार- धारक बैल पुच्छलतारा, अग्रि गौ ध्यान निश्चित, नित्य अन्धकार मगर एक राक्षस मोह-रहित जलाशय नवविवाहिता स्वर्ग शब्द काटने वाला जंजीर गला स्त्री पतन पलक गिराना निम्नगा निरम्बर निरेनस् निर्घृण निर्निमेष निर्भीषण निर्मोक निर्वृति निलय निवह निशा निशाचर निष्क निष्टा निस्तुल निःस्व निःसङ्गता नीर नीरद नून नूपुर नेक पञ्चानन पट पतङ्ग पत्तन पयोदमाला पयोमुच् नदी वस्त्र-रहित पाप-रहित For Private & Personal Use Only निर्दय पलक रहित विभीषम कांचली मुक्ति निवास समूह रात्रि राक्षस, रात्रि भोजी बहुमूल्य श्रद्धा अनुपम निर्धन अपरिग्रहता जल मेघ नवीन पायजेब, विछुड़ी भद्र सिंह वस्त्र पतंग, चंग नगर मेघपंक्ति मेघ पराग पराभूति परिकर्म प्रसाधन, समारंभ परोक्षज्ञान इन्द्रिय-जनित ज्ञान और अविशद पुष्पराग तिरस्कार www.jainelibrary.org
SR No.002761
Book TitleVirodaya Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuramal Shastri
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages388
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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