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________________ AND Y ATR N . समर्पण Doया 9 फ़ विश्व के महान संतपुरुष, भारतदेश के संसारत्यागी साधु-महात्मा, जैनधर्म ( जैनशासन ) के महान् प्राचार्य, शासनसम्राट् के सुप्रसिद्ध पट्टालंकार, गुजरात-सौराष्ट्र के शृगार, बोटादनगर के अनुपम दिव्यरत्न, सप्तलक्षाधिकश्लोकप्रमाण नूतन संस्कृतसाहित्य के प्रसाधारण सर्जक, श्री सिद्धहेमबृहन्यासानुसन्धानकारक, श्री धातुरत्नाकराद्यनेक ग्रन्थप्रणेता, सच्चारित्र चूडामणि, विशुद्ध बालब्रह्मचारी, विद्यमान पैंतालीस प्रागमसूत्र के विधिपूर्वक योगोवहन तथा वाचन करने वाले महायोगी, निरुपमव्याख्यानामृतवर्षी, प्रशान्तमूति, संस्कृतादि भाषाओं में साक्षरों के साथ शास्त्रार्थ करने वाले, जैनशासन की अनुपम प्रभावना करने वाले, प्राजानु लम्बायमान हस्तद्वयवाले, 'साहित्यसम्राट्-व्याकरण वाचस्पति-शास्त्रविशारद-कविरत्न' पद से समलंकृत महासमर्थ विद्वद्वर्य, सदास्मरणीय, भवोदधितारक, परमपूज्य-परमोपकारी-गुरुदेव-स्वर्गीय आचार्य प्रवर श्रीमद विजयलावण्यसूरीश्वरजी महाराज सा. को-मुझ पर किये हुए असीम उपकार की स्मृति स्वरूप यह 'श्रीमहादेवस्तोत्रम्' (मनोहरा टीका, हिन्दीपद्यानुवाद-भाषानुवाद सहिता) ग्रन्थरत्न सादर समर्पित करता हुआ अत्यन्त आनन्दित होता हूँ। प्रापका प्रशिष्य विजयसुशीलसूरि C " bok * X Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002760
Book TitleMahadev Stotram
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSushilmuni
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram Sirohi
Publication Year1985
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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