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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः । १३३
नञ्सुव्युप-रः | ७|३।१३१।। नटान्नृत्ते ञ्यः ।६।३।१६५।। नडकुमुदवेतस-डित् |६|२|७४|| नडशादाद् वलः | ६ | २|७५ || डादिभ्य आयन |६| १ |५३ || डादेः कीयः | ६ |२|९२||
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न डीशीङ्-दः | ४|३|२७|| न णिङ्यसूद-क्षः |५|२|४५||
न तम्बादि - भ्यः | ७|३|१३|| न तक दीर्घ | ४|२|५९|| न दधिपयआदिः | ३|१|१४५ ।। न दिस्योः | ४ | ३ | ६१ ॥ नदीदेशपुरां-नाम् |३|१|१४२|| नदीभिर्नाम्नि |३|१|२७||
नद्यादेरेयण् |६|३|२|| नद्यां मतुः |६|२|७२|| द्वित्वे | ७|२| १४७||
नः शिच् | १|३ | १९ ॥ न कचि | २|४|१०५ ॥
न कर्तरि | ३|१|८२||
| ३ | ४|८८||
न कर्मणा न कवतेर्यङः | ४|१|४७|| न किम: क्षेपे | ७ | ३ |७० || नखमुखादनाम्नि | २|४|४०||
नखादयः | ३|२|१२८॥ न ख्यापूग्-श्च |२|३|९०|| नगरात्कुत्सादाये | ६ | ३ |४९||
नगदग | ५ | १|८७|| न गृणाशुभरुचः | ३।४।१३।। गोsप्राणिनि वा । ३।२।१२७|| नग्नपलित-कञ् ।५।१।१२८।।
न जनवधः | ४|३|५४॥ नञ् | ३|१|५१ ।। नञः क्षेत्रज्ञे - चेः | ७|४|२३||
नञत् | ३|२|१२५ ॥
नञव्यया- डः | ७|३|१२३||
न स्वङ्गादेः | ७|४|९|| नञोऽनिः शापे | ५ | ३|११७|| नञोऽर्थात् |७|३|१७४।।
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नञ्तत्पुरुषात् |७|३|७१|| नञ्तत्पुरु-देः | ७|१|५७|| नञ्बहो-णे ।७।३।१३५।। नञ्सुदुर्भ्यः-र्वा ।७।३।१३६।।
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न द्विरद्रुवय-त् | ६ |२|६१ ||
न द्विस्वरा - तात् |६|३|२९||
न नाङिदेत् | १|४|२७||
न नाम्नि | ७ | ३ | १७६ ॥ न नाम्येक - Sमः | ३|२|९||
न नृपूजार्थध्वज ० | ७|१|१०९ || ननौ पृष्टोक्तौ - तू |५|२|१७|| नन्द्यादिभ्योऽनः | ५ | १|५२|| नवोर्वा | ५ | २|१८||
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