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________________ *************** फ 新 परम पूज्य आचार्य १०८ श्री ज्ञानसागरजी महाराज सांख्यिकी परिचय पारिवारिक परिचय : जन्म स्थान पिता का नाम श्री चतुर्भुज जी; गोत्र - छाबड़ा (खंडेलवाल जैन); राणोली ग्राम (जिला सीकर) राजस्थान; - - साहित्यिक परिचय : * संस्कृत भाषा में - * दयोदय / जयोदय / वीरोदय / (महाकाव्य) बाल्यकाल का नाम प्रात परिचय पाँच भाई (छगनलाल / भूरामल / गंगाप्रसाद / गौरीलाल / एवं देवीदत्त ) पिता की मृत्यु - सन १९०२ में शिक्षा - प्रारम्भिक शिक्षा गांव के विद्यालय में एवं शास्त्रि स्तर की शिक्षा स्यादवाद महाविद्यालय बनारस (उ. प्र.) से प्राप्त की । 卐 * सुदर्शनयोदय / भद्रोदय / मुनि मनोरंजनाशीति - (चरित्र काव्य ) फ्र * सम्यकत्व सार शतक (जैन सिद्धान्त) फ्र * प्रवचन सार प्रतिरुपक (धर्म शास्त्र ) प्रस्तुति जन्म काल - सन् १८९१ माता का नाम - श्रीमती घृतवरी देवी भूरामल जी हिन्दी भाषा में * ऋषभावतार / भाग्योदय / विवेकोदय / गुण सुन्दर वृत्तान्त (चरित्र काव्य) * कर्त्तव्य पथ प्रदर्शन / सचित्तविवेचन / तत्वार्थसूत्र टीका / मानव धर्म (धर्मशास्त्र) * देवागम स्तोत्र / नियमसार / अष्टपाहुड़ (पद्यानुवाद) * स्वामी कुन्दकुन्द और सनातन जैन धर्म और जैन विवाह विधि Jain Education International चारित्र पथ परिचय : * सन १९४७ (वि. सं. २००४) में व्रतरुप से ब्रह्मचर्य प्रतिमा धारण की । - कमल कुमार जैन * सन १९५५ (वि. सं. २०१२) में क्षुल्लक दीक्षा धारण की । * सन १९५७ (वि. सं. २०१४ ) में ऐलक दीक्षा धारण की । * सन १९५९ (वि. सं. २०१६) में आचार्य १०८ श्री शिवसागर महाराज से उनके प्रथम शिष्य के रुप - में मुनि दीक्षा धारण की। स्थान खानिया (जयपुर) राज। आपका नाम मुनि ज्ञानसागर रखा गया । * ३० जून सन् १९६८ ( आषाड़ शुक्ला ५ सं. २०२५) को ब्रह्मचारी विद्याधर जी को मुनि पद की दीक्षा दी जो वर्तमान में आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर जी के रुप में विराजित है । For Private & Personal Use Only * ७ फरवरी सन् १९६९ ( फागुन वदी ५ सं. २०२५) को नसीराबाद (राजस्थान) में जैन समाज ने आपको आचार्य पद से अलंकृत किया एवं इस तिथि को विवेकसागर जी को मुनिपद की दीक्षा दी । * संवत् २०२६ को ब्रह्मचारी जमनालाल जी गंगवाल खाचरियावास (जिला-सीकर) रा. को क्षुल्लक दीक्षा दी और क्षुल्लक विनयसागर नाम रखा । बाद में क्षुल्लक विनयसागर जी ने मुनिश्री विवेकसागर जी से मुनि दीक्षा ली और मुनि विनयसागर कहलाये । 东东东东东东东 断发 www.jainelibrary.org
SR No.002757
Book TitleJayodaya Mahakavya Uttararnsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuramal Shastri
PublisherDigambar Jain Samiti evam Sakal Digambar Jain Samaj
Publication Year1994
Total Pages690
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size15 MB
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