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वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना
कल्कि के संबंध 'पुराणकार' इस प्रकार लिखते हैं
'जब कलियुग पूरा होने लगेगा तब धर्मरक्षण के लिये शंभल गाम के मुखिया विष्णुयश ब्राह्मण के यहाँ भगवान् विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे ।
'कल्कि देवदत्त नामक तेज घोड़े पर सवार हो के खड्ग से दुष्टों और राजवेश में रहते हुए सब लुटेरों का नाश करेगा । जो म्लेच्छ हैं, जो अधार्मिक और पाषंडी हैं वे सब कल्कि से नष्ट किए जाएँगे ।'
पाठकों के अवलोकनार्थ हम पुराणों के उन श्लोकों के यहाँ उद्धृत करते हैं जिनमें कल्कि के कर्तव्यों का वर्णन है ।
" इत्थं कलौ गतप्राये, जनेषु खरधर्मिणि । धर्मत्राणाय सत्वेन, भगवानवतरिष्यति ॥१६॥
चराचरगुरोर्विष्णोरीश्वरस्याखिलात्मनः । धर्मत्राणाय साधूनां, जन्मकर्मापनुत्तये ॥१७॥
शंभलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः । भवने विष्णुयशसः, कल्किः प्रादुर्भविष्यति ||१८||
अश्वमाशुगमारुह्य, देवदत्तं जगत्पतिः । असिनाऽसाधुदमनमष्टैश्वर्यसमन्वितः ॥ १९ ॥
विचरन्नाशुना क्षोण्यां, हयेनाऽप्रतिमद्युतिः । नृपलिंगच्छदो दस्यून्कोटिशो निहनिष्यति ||२०||"
- श्रीमद्भागवत १२ स्कंध, अ० २, पृ० १०३० - १०३४ ।
"कल्किना व्याहताः सर्वे, म्लेच्छा यास्यन्ति संक्षयम् ॥ २०६ ॥ अधार्मिकाश्च येऽत्यर्थं पाखण्डाश्चैव सर्वशः ॥"
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- ब्रह्माण्डपुराण म० भा० उपो० पा० ३ अ० ७४ पृ० १८५- १८८ ।
पुराणों के इन लेखों से यह तो स्पष्ट है कि कल्कि वैदिक धर्म का उद्धारक होगा । इतना ही नहीं बल्कि वह अधर्मी और पााषंडियों (अन्य दार्शनिकों) का नाश करनेवाला होगा ।
अब इसी कल्कि के संबंध में जैनों की क्या मान्यता है सो भी देखिए -
(१) तित्थोगाली में लिखा है
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