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वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना
यह गाथा एक दुष्षमासंघ स्तोत्रयंत्र की प्रति के हाशिये पर लिखी हुई है । उसका भाव यह है कि 'युगप्रधान तुल्य गंधर्व वादि वेताल शांतिसूरि ने वालभ्य संघ के कार्य के लिये वलभी नगरी में उद्यम किया ।'
जहाँ तक मैं समझता हूँ, गाथोक्त 'वालभ्य संघ' का तात्पर्य वालभी वाचनानुयायी श्रमणसंघ से है और 'इसके कार्य के लिये शांतिसूरि ने उद्यम किया' इस उल्लेख में 'देवर्द्धिगणि के आगम लेखन कार्य के अवसर पर वालभी वाचना को न्याय दिलाने के लिये किए हुए गंधर्व वादि वेतालशांति सूरि के उद्यम की सूचना है। यदि मेरा यह अनुमान ठीक हो तो इससे यह सिद्ध हो सकता है कि निर्वाण से ९८० के अर्से में देवर्द्धिगणि की प्रमुखता में वलभी में जो श्वेतांबर श्रमणसंघ एकत्र हुआ था वह माथुरी और वालभी इन दोनों परंपराओं का संमिलित संघ था । माथुरी परंपरा के मुखिया युगप्रधान देवगण क्षमाश्रमण थे और वालभी परंपरा के प्रमुख कालकाचार्य और उपप्रमुख युगप्रधानतुल्य गंधर्ववादि वेताल शांतिसूरि ।'
इन्हीं शांतिसूरि के संबंध में तपागच्छ की एक जीर्ण पट्टावली में नीचे लिखे अनुसार उल्लेख दृष्टिगोचर होता है
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'श्री वीरात् ८४५ श्री विक्रमात् ३७५ वलभीनगरीभंगः क्वचिदेवं श्रीवीरात् ९०४ गंधर्ववादिवेतालश्रीशांतिसूरिणा वलभीभंगे श्रीसंघरक्षा कृता । "
- अज्ञातकर्तृक तपागच्छीय पट्टावली ।
अर्थात् 'वीरनिर्वाण से ८४५ और विक्रम से ३७५ में वलभी नगरी का भंग हुआ । कहीं कहीं ऐसा भी है कि वीरनिर्वाण से ९०४ में वलभी का भंग हुआ और इस अवसर पर गंधर्व वादि वेताल शांतिसूरि ने श्रीसंघ की रक्षा की ।'
पट्टावलीकार गंधर्ववादि वेताल के उद्यम का अर्थ 'परचक्र भय से संघरक्षा' ऐसा करते हैं और इस घटना को निर्वाण संवत् ९०४ में हुआ बताते है, पर ९०४ के आसपास वलभी भंग बतानेवाले इस उल्लेख का इतिहास से समर्थन नहीं होता । पूर्वोक्त गाथा में भी इस बात का कुछ जिकर नहीं है । राज्यविप्लव में एक आचार्य से संघरक्षा का संभव भी नहीं माना जा सकता। इसलिये मेरा ख्याल तो यह है कि वलभी-भंगसूचक उल्लेख के साथ होने से ही इस उल्लेख में भी वलभी भंग शब्द जुड़ गया मालूम होता है । वस्तुतः यह उल्लेख देवर्द्धिगणि के पुस्तकोद्धारकार्य में वालभ्यसंघ की ओर से शांतिसूरि द्वारा दिए गए सहयोग का स्मारक है । इसमें संवत् सूचक जो ९०४ का अंक है वह मेरे विचार में, ठीक नहीं है। मूल में ९८४ अथवा ९९४ संवत् होगा जो पीछे से गलती से ९०४ हो गया है ।
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