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________________ 19 विशेष प्रकार की यातना जिसमें पापीजन कुम्हार के बर्तनों की भाँति पकाये जाते हैं) में पकाते हैं और फिर उसके शरीर को पीसते हैं। - धर्मरसायन भूमीसमं देहं अल्लय चम्मं च तस्स खिलित्ता । धावंति दुदुहियया तिक्खतिसूलेहिं णेरड्या ||60|l भूमिसमं देहं आकल्प्य चर्मं च तस्य खनित्वा । धावन्ति दुष्टहृदयास्तीक्ष्णत्रिशूलैः नारकाः ||60| दुष्टहृदय नरकवासी उस पापी के शरीर को भूमि के रूप में कल्पित करके उसकी चमड़ी को तीक्ष्ण त्रिशूलों से खोदते (जोतते हुए दौड़ते हैं । स्वायंति साणसीहावयवग्धा अयमहि दंतेहिं । अट्ठावया सियाला मज्जारा किण्हसप्पा य ॥61॥ खादन्ति श्वसिंहवृकव्याघ्रा अयमितैः दन्तैः । अष्टापदाः शृगाला मार्जाराः कृष्णसर्पाश्च ||61|| उस पापी के शरीर को कुत्ता, सिंह, भेड़िया, बाघ, अष्टपद (शरभ), सियार, बिलाव तथा काले साँप दाँतों से मनमानी करते हुए खाते हैं । वायस्सगिद्धकंका पिपीलिया मणा तहा डंसा । मसगाय महुयरीओ जलुआओ तिक्खतुंडाओ |1621 वायसगृधकंका: पिपीलिका मत्कुणास्तथा दंशाः । मशकाश्च मधुकर्यः जलूकास्तीक्ष्णतुण्डाः ||62|| कौआ, गिद्ध, बगुला (कंक), चींटी, खटमल डाँस, मच्छर, मधुमक्खी तथा नुकीली भूँथनी (मुँह) वाली जौंक भी (उस पापी के शरीर को मनमानी करते हुए खाते हैं ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002751
Book TitleDharmrasayana
Original Sutra AuthorPadmanandi
AuthorVinod Sharma
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Religion
File Size3 MB
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