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अहिंसा-सूत्र
(१६) सम्यक बोध को जिसने प्राप्त कर लिया वह बुद्धिमान् मनुष्य हिंसा से उत्पन्न होनेवाले वैर-वद्धक एवं महाभयंकर दुःखों को जानकर अपने को पाप-कर्म से बचाये ।
(२०) संसार में प्रत्येक प्राणी के प्रति-फिर वह शत्रु हो था मित्र · समभाव रखना, तथा जीवन-पर्यन्त छोटी-मोटी सभी प्रकार की हिंसा का त्याग करना-वास्तव में बहुत
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