________________
अहिंसा-सूत्र
भगवान महावीर ने अठारह धर्म-स्थानों में सबसे पहला स्थान अहिंसा का बतलाया है।
सब जीवों के साथ संयम से व्यवहार रखना अहिंसा है; वह सब सुखों को देनेवाली मानी गई है ।
संसार में जितने भी त्रस और स्थावर प्राणी हैं उन सब को, जान और अनजान में न स्वयं मारना चाहिए और न दूसरों से मरवाना चाहिए।
(१३) जो मनुष्य प्राणियों को स्वयं हिंसा करता है, दूसरों से हिंसा करवाता है और हिंसा करनेवालों का अनुमोदन करता है, वह संसार में अपने लिये वैर को बढ़ाता है ।
(१४) संसार में रहने वाले त्रस और स्थावर जीवों पर,मन से, वचन से और शरीर से,-किसी भी तरह दंड का प्रयोग न करना चाहिए।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org