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पद्यका अंक
२४८ ५३ २२७
६५
२२५ २००
१०७ २६६
२०
पद्यका आदिवाक्य पद्यका अंक ! पद्यका आदिवाक्य रूवेसु जो १३५ | वोच्छिन्द रोइअनायपुत्त- २६९ सक्का सहे लद्रूण वि ११७, ११८, सद्दे रूवे य
१२०
सबंधयारलोहस्सेस
सन्तिमे वत्तणालक्खणो
स पुवमेवं वत्थगन्ध--
समयाए वरं मे
२१४ समया सव्व'विगिंच - ९७ सम्मदिट्ठी वितहं पि
३१ समावयंता वित्तेण ताणं
समिक्ख वित्तं पसवो १६५ समं च विभूसा इत्थिसं--
सयं तिवायए विभूसं . ५२ सयं समेच्च विरई अबंभ-- ३८ सरीरमाहु विवत्ती अविणी-- ८६ सल्लं कामा वेया अहीया न १६९ सवक्कसुद्धिं वेराई कुव्वइ . १९० । सव्वत्थुवहिणा
२७१
२४९ १९८ ४५ १३ २८
२२१ १५२
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