________________
पद्यका आदिवाक्य पथका अंक
कहं चरे ?
कामाणुगिद्धि
२८२
५५
कायसा
१८४
किण्हा नीला २३८, २३९
११३
कुसग्गे कूइयं रुइयं
४७
कोहा वा जइ वा
कोहो पीई कोहो य माणो य
कोहं च माणं च
कोहं माणं च
खणमेत्तसोक्खा
खामेमि सव्वे
खिप्पं न सक्केइ
गइलक्खणो
[ १८१ ]
मुणेहि साहू
चउरंगं
चउव्विहे वि
Jain Education International
२५९
१४४
१४२
१५१
१४३
१५४
३१३
१०८
२२४
२५२
९८
६८
पद्यका आदिवाक्य
चत्तारि परम-
चित्तारि वमे
चरे पयाई
चिच्चादुपयं
चिच्चाणं धणं
चीराजिणं
छन्दंनिरोहेण
जगनिस्सिएहिं
चित्तमतमचित्तं ३३, २६०
१५८
१०६
१४
जणेण सद्धिं
जम्मं दुक्ख
जमिणं जगई
जया कम्मं
जया गईं बहुविहं
जया चयइ
जया जीव-
जया धुणइ
जया निव्विंदए
पथका अंक
For Private & Personal Use Only
८७
२७०
१०५
१७०
१२५
१८१
१६६
१७२
३००
२९०
२९३
२८९
२९६
२९२
www.jainelibrary.org