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मोक्षमार्ग-सूत्र
( ३०१ )
जो श्रमण भौतिक सुख की इच्छा रखता है, भविष्यकालिक सुख-साधनों के लिए व्याकुल रहता है, जब देखो तब सोता रहता है, सुन्दरता के फेर में पड़कर हाथ, पैर, मुँह श्रादि धोने में लगा रहता है, उसे सद्गति मिलनी बड़ी दुर्लभ है ।
( ३०२ )
जो उत्कृष्ट तपश्चरण का गुण रखता है, प्रकृति से सरल है, क्षमा और संयम में रत है, शांति के साथ क्षुधा आदि परोष हां को जीतनेवाला है, उसे सद्गति मिलनी बड़ी सुलभ है:
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