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:११-२ :
अप्पमाय-सुत्तं
(११२) दुमपत्तए पंडुयए जहा निवडइ राइगणार अच्चए। एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए ।।१।।
(११३) कुसग्गे जह ओसबिन्दुए, थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए ।।२।।
(११४) इइ इसरियम्मि आउए, जीवियए बहुपच्चवायए । विहुणाहि रयं पुरेकर्ड, समयं गोयम ! मा पमायए ॥३॥
(११५) दुल्लहे खलु माणुसे भवे, चिरकालेण वि सव्व-पाणि । गाढा य विवाग करमुणो, समयं गोयम ! मा पमायए॥४॥
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