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________________ 44 ११. (क) सर्वार्थसिद्धि - ६.२ (ख) सूत्रकृतांग शीलांकाचार्य वृत्ति, २.५.१७, पृष्ठ १२८ (ग) अध्यात्मसार, १८.१३१ (घ) तत्त्वार्थ सूत्र, ६.१-२ (ङ) श्रावक प्रज्ञप्ति, ७९ (च) तत्त्वार्थ सार ४-२ जिनवाणी (छ) चन्द्रप्रभ चरित्र - आचार्य वीरनन्दी, १८.८२ (ज) अमितगति श्रावकाचार, ३.३८ (झ) ज्ञानार्णव, १, पृष्ठ ४२ (ञ) धर्मशर्माभ्युदय - कवि हरिचन्द्र, २१.८४ (ट) मूलाचारवृत्ति - वसुनन्द्याचार्य, ५-६ (ठ) आराधना सार टीका- श्री रत्नकीर्तिदेव, ४ (ड) आवश्यक सूत्र हरिभद्रीया वृत्ति, पृष्ठ ८४ १२. (क) प्रथम कर्मग्रन्थ, गाथा १३ (ख) स्थानांग सूत्र २.४.१.५ टीका (ग) गोम्मटसार, कर्मकाण्ड २१ १३. पंचाध्यायी - २.९८-६-७ १४. (क) गोम्मटसार, कर्मकाण्ड, ३९ (ख) स्थानांग सूत्र २.४.१०५ टीका १५. तत्त्वार्थ भाष्य ८. १ १६. (क) आवश्यकचूर्णि ६. १६५८ (ख) प्राकृत पंच संग्रह - १.७ १७. (क) गुणस्थान क्रमारोहण स्वोपज्ञ वृत्ति, गाथा ६ (ख) कर्मग्रन्थ, भाग-४, गाथा ५१ (ग) लोक प्रकाश सर्ग - ३, गाथा ६८९ १८. (क) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृष्ठ ११६ (ख) विशेषावश्यक भाष्य १२२७ (ग) आवश्यक सूत्र हरिभद्रीय वृत्ति, १०९, पृष्ठ ७७ (घ) पंच संग्रह स्वोपज्ञ वृत्ति, ३ १२३, पृष्ठ ३५ (ङ) उत्तराध्ययन सूत्र नियुक्ति - वृत्ति - शान्तिचन्द्रसूरि, १८० (च) स्थानांग सूत्र, अभयदेव वृत्ति - ४, १ १९. (क) दशवैकालिक सूत्र अध्ययन ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only 15, 17 नवम्बर 2006 www.jainelibrary.org
SR No.002748
Book TitleJinvani Special issue on Pratikraman November 2006
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2006
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size19 MB
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