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११. (क) सर्वार्थसिद्धि - ६.२
(ख) सूत्रकृतांग शीलांकाचार्य वृत्ति, २.५.१७, पृष्ठ १२८
(ग) अध्यात्मसार, १८.१३१
(घ) तत्त्वार्थ सूत्र, ६.१-२
(ङ) श्रावक प्रज्ञप्ति, ७९
(च) तत्त्वार्थ सार ४-२
जिनवाणी
(छ) चन्द्रप्रभ चरित्र - आचार्य वीरनन्दी, १८.८२
(ज) अमितगति श्रावकाचार, ३.३८
(झ) ज्ञानार्णव, १, पृष्ठ ४२
(ञ) धर्मशर्माभ्युदय - कवि हरिचन्द्र, २१.८४ (ट) मूलाचारवृत्ति - वसुनन्द्याचार्य, ५-६ (ठ) आराधना सार टीका- श्री रत्नकीर्तिदेव, ४ (ड) आवश्यक सूत्र हरिभद्रीया वृत्ति, पृष्ठ ८४ १२. (क) प्रथम कर्मग्रन्थ, गाथा १३
(ख) स्थानांग सूत्र २.४.१.५ टीका (ग) गोम्मटसार, कर्मकाण्ड २१ १३. पंचाध्यायी - २.९८-६-७ १४. (क) गोम्मटसार, कर्मकाण्ड, ३९ (ख) स्थानांग सूत्र २.४.१०५ टीका
१५. तत्त्वार्थ भाष्य ८. १
१६. (क) आवश्यकचूर्णि ६. १६५८
(ख) प्राकृत पंच संग्रह - १.७
१७. (क) गुणस्थान क्रमारोहण स्वोपज्ञ वृत्ति, गाथा ६ (ख) कर्मग्रन्थ, भाग-४, गाथा ५१
(ग) लोक प्रकाश सर्ग - ३, गाथा ६८९
१८. (क) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृष्ठ ११६
(ख) विशेषावश्यक भाष्य १२२७
(ग) आवश्यक सूत्र हरिभद्रीय वृत्ति, १०९, पृष्ठ ७७
(घ) पंच संग्रह स्वोपज्ञ वृत्ति, ३ १२३, पृष्ठ ३५ (ङ) उत्तराध्ययन सूत्र नियुक्ति - वृत्ति - शान्तिचन्द्रसूरि, १८० (च) स्थानांग सूत्र, अभयदेव वृत्ति - ४, १
१९. (क) दशवैकालिक सूत्र अध्ययन ८
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15, 17 नवम्बर 2006
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