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15.17 नवम्बर 2006 जिनवाणी, 322
श्रावक प्रतिक्रमण में श्रमण सूत्र का सन्निवेश?
श्री मदनलाल कटारिया
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श्रावक प्रतिक्रमण में श्रमणसूत्र के शय्यासूत्र आदि पाँच पाठों को बोलने को लेकर स्थानकवासी सम्प्रदाय में मतभेद है । मन्दिरमार्गी एवं तेरापंथ सम्प्रदाय तो श्रावक प्रतिक्रमण में इन पाठों को नहीं बोलते हैं, किन्तु स्थानकवासियों में जो श्रावक बोलते हैं, तथा इसका जो हेतु देते हैं, उस हेतु का निराकरण इन प्रश्नोत्तरों में भलीभाँति हुआ है। -सम्पादक
प्रश्न क्या श्रावक प्रतिक्रमण में श्रमण सूत्र बोल सकता है? उत्तर नहीं। प्रश्न इसका क्या कारण है? उत्तर श्रमण का अर्थ साधु होता है, श्रावक नहीं। अतः श्रमण सूत्र साधु को ही बोलना चाहिए ,
श्रावक को नहीं। प्रश्न श्रमण का अर्थ साधु ही होता है, श्रावक नहीं, यह कैसे कहा जा सकता है? उत्तर शास्त्रों के अनेक प्रमाणों से यह सिद्ध है कि श्रमण का अर्थ साधु ही होता है। देखिए,
आगमों के वे प्रमाण आगे दिखलाए जा रहे हैंदशवैकालिक सूत्र के प्रमाण- १. समणा (अ.१ गा.३) २. सामण्णं (अ.२ गा.१) ३. समणेणं (अ.४) ४. सामण्णं (अ.४गा.२६) ५. सामण्णम्मि (अ.५उ.गा.१०) ६. समणट्ठाए (अ.५ उ.१ गा.३०व४०) ७.सामण्णं (अ.५उ.२गा.३०) ८. समणा (अ.५उ.३गा.३४) ६. समणे (अ.५ उ.२गा.४०) १०. सामणिए (अ.१० गा.१४) ११. सामण्णे (प्रथम चूलिका गा.
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उत्तराध्ययन सूत्र के प्रमाण- १. सामण्णं (अ.२ गा.१६) २. समणं (अ.२ गा.२७) ३. सामण्णं (अ.२ गा.३३) ४. समणं (अ.४ गा.११) ५. समणा (अ.८ गा.७) ६. समणा (अ. ८ गा.१३) ७. सामण्णे (अ.६ गा.६१) ८. समणो (अ.१२ गा.६) ६. समणा (अ.१४गा.१७) १०. पावसमणे (अ.१७) ११. सामण्णे (अ.१८गा.४७) १२. समण (अ.१६गा.५) १३. सामण्णं (अ.१६गा.६) १४. सामण्णं (अ.१६गा.२५) १५. सामण्णं (अ.१६ गा.३५) १६.
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