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। जिनवाणी
|15,17 नवम्बर 2006|| में घर का दरवाजा खुला रखने की प्रवृत्ति रखनी चाहिए। ७. साधु मुनिराज घर में पधारें तो सूझता होने पर तथा मुनिराज के अवसर होने पर स्वयं के हाथ से दान देने की उत्कृष्ट भावना रखनी चाहिए। ८. साधुजी की गोचरी के विधि-विधान की जानकारी, उनकी संगति, चर्चा एवं शास्त्रस्वाध्याय से निरंतर आगे बढ़ाते रहना चाहिए। ९. साधु मुनिराज गवेषणा करने के लिए कुछ भी
पूछताछ करे तो झूठ नहीं बोलना चाहिए। प्रश्न संत-सतियों को कितने प्रकार की वस्तुएँ दान दे सकते हैं? उत्तर मुख्यतः चौदह प्रकार की वस्तुएँ दान दे सकते हैं। उनका वर्णन आवश्यक सूत्र के १२वें अतिथि
संविभाग व्रत में इस प्रकार है- अशन, पान, खादिम, स्वादिम, वस्त्र, पात्र, कम्बल, रजोहरण, चौकी, पट्टा, पौषधशाला (घर), संस्तारक, औषध और भेषज। इनमें अशन से रजोहरण तक की वस्तुएँ अप्रतिहारी तथा चौकी से भेषज तक की वस्तुएँ प्रतिहारी कहलाती हैं। जो लेने के बाद
वापस न लौटा सकें, वे अप्रतिहारी तथा जो वापस लौटा सकें, वे वस्तुएँ प्रतिहारी कहलाती हैं। प्रश्न अतिथि संविभाग व्रत का क्या स्वरूप है? उत्तर जिनके आने की कोई तिथि या समय नियत नहीं है, ऐसे पंच महाव्रतधारी निर्ग्रन्थ श्रमणों को उनके
कल्प के अनुसार चौदह प्रकार की वस्तुएँ निःस्वार्थ भाव से आत्म-कल्याण की भावना से देना तथा
दान का संयोग न मिलने पर भी सदा दान देने की भावना रखना, अतिथि संविभाग व्रत है। प्रश्न मारणांतिक संथारे की विधि क्या है? उत्तर संथारे का योग्य अवसर देखकर साधु-साध्वीजी की सेवा में या उनके अभाव में अनुभवी श्रावक
श्राविका के सम्मुख अपने व्रतों में लगे अतिचारों की निष्कपट आलोचना कर प्रायश्चित्त ग्रहण करना चाहिए। पश्चात् कुछ समय के लिए या यावज्जीवन के लिए आगार सहित अनशन लेना चाहिए। इसमें आहार और अठारह पाप का तीन करण-तीन योग से त्याग किया जाता है। यदि किसी का संयोग नहीं मिले तो स्वयं भी आलोचना कर संलेखना तप ग्रहण कर सकते हैं। यदि तिविहार ग्रहण करना हो तो ‘पाणं' शब्द नहीं बोलना चाहिए। गादी, पलंग का सेवन, गृहस्थों द्वारा सेवा आदि कोई छूट रखनी हो तो उसके लिए आगार रख लेना चाहिए। संथारे के लिए शरीर व
कषायों को कृश करने का अभ्यास संलेखना द्वारा करना चाहिए। प्रश्न उपसर्ग के समय संथारा कैसे करना चाहिए?
जहाँ उपसर्ग उपस्थित हो, वहाँ की भूमि पूँज कर बड़ी संलेखना में आए हुए 'नमोत्थुणं' से 'विहरामि' तक पाठ बोलना चाहिए और आगे इस प्रकार बोलना चाहिए “यदि उपसर्ग से बचूँ तो
अनशन पालना कल्पता है, अन्यथा जीवन पर्यन्त अनशन है।" प्रश्न खमासमणो और भाव वन्दना का आसन किसका प्रतीक है?
उत्तर
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