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जिनवाणी
(२) फोड़ी कर्म: खान खुदाकर, पत्थर फुड़वाकर आजीविका कमाना ।
प्रश्न अनर्थदण्ड किसे कहते हैं ?
उत्तर जो कार्य स्वयं के परिवार के सगे-सम्बन्धी, मित्रादि के हित में न हो, जिसका कोई प्रयोजन न हो और व्यर्थ में आत्मा पापों से दंडित हो, उसे अनर्थदण्ड कहते हैं।
प्रश्न सामायिक और पौषधव्रत में क्या अन्तर है ?
उत्तर सामायिक केवल एक मुहूर्त की होती है, जबकि पौषध कम से कम चार प्रहर का होता है। सामायिक में निद्रा का त्याग करना पड़ता है। पौषध चार या अधिक प्रहर का होने से उसमें निद्रा भी ली जा सकती है एवं शौचादि का अपरिहार्य कार्य भी किया जा सकता है।
प्रश्न तिर्यंच १२वाँ व्रत क्यों नहीं पाल सकता?
उत्तर तिर्यंच दान नहीं दे सकते, अतः १२वें व्रत की पालना नहीं कर सकते। प्रश्न आत्मगुणों को चमकाने वाला प्रतिक्रमण में कौनसा पाठ है ?
उत्तर बडी संलेखना व्रत ।
प्रश्न संलेखना से क्या अभिप्राय है?
'उत्तर 'संलेखना' समाधिमरण की पूर्व तैयारी है। इससे कषाय पतले होते हैं, संसार घटता है, आत्मोन्नति होती है और उच्च भावना आने से उच्चगति की प्राप्ति होती है ।
15, 17 नवम्बर 2006
प्रश्न अरिहन्त, सिद्ध, साधु और केवली प्ररूपित दयामय धर्म - इन चारों को मंगल क्यों कहा गया है ? उत्तर इन चारों के स्मरण से, श्रवण से, शरण से समस्त पापों का नाश होता है, विघ्न टल जाते हैं।
प्रश्न प्रतिक्रमण सूत्र में प्रायश्चित्त का पाठ कौनसा है और उसका अर्थ क्या है?
उत्तर देवसिय पायच्छित्त-विसोहणत्थं करेमि काउस्सगं ।
भावार्थ- मैं दिवस सम्बन्धी प्रायश्चित्त की शुद्धि के लिए कायोत्सर्ग करता हूँ। प्रश्न पच्चक्खाण क्यों करते हैं?
उत्तर व्रत में लगे दोषों की आलोचना करने के बाद पुनः दोषोत्पत्ति न हो इसलिए मन पर अंकुश रखने के लिये पच्चक्खाण करते हैं।
प्रश्न प्रतिक्रमण के पाठों में उपसंहार सूत्र कौनसा है ?
उत्तर 'तस्स धम्मस्स केवलिपणत्तस्स' का पाठ ।
प्रश्न श्रमण निर्ग्रन्थों को १४ प्रकार का निर्दोष दान देना ही अतिथि संविभाग व्रत का प्रयोजन है। यदि दाता और पात्र दोनों शुद्ध हों और उत्कृष्ट रसायन आवे तो कौन से शुभ कर्म का बन्ध होता है ? उत्तर तीर्थंकर नाम गोत्र कर्म का ।
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