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जिनवाणी
|15,17 नवम्बर 2006
अतिक्रमण है निजस्वरूप से, बाहर में निज को भटकाना। प्रतिक्रमण है निज स्वरूप में, फिर वापस अपने को लाना ।।
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SR No.
002748
Book Title
Jinvani Special issue on Pratikraman November 2006